गुजरात स्वनिर्भर स्कुल (फीस नियमन) कानून- २०१७ की संविधानीय कानूनता को चुनौती देती ओर एक जनहित याचिका गुजरात हाईकोर्ट में दाखिल हुई हैं । जिसमें सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, शिक्षा विभाग समेत के संबंधित सत्ताधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं । सामाजिक कार्यकर्ता और जागरुक अभिभावक द्वारा की गई पीआईएल में एडवोकेट विशाल जे दवे ने पेशकश करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा अप्रैल-२०१७ में गुजरात स्वनिर्भर स्कुल (फीस नियमन ) कानून लाकर उसके रुल्स बनाकर अमल शुरु किया गया हैं । इस कानून के तहत राज्य सरकार ने चार जोन को शामिल करती फीस निर्धारण कमिटी की रचना की हैं । लेकिन इस कमिटी मंे अभिभावक और शिक्षकों का प्रतिनिधि नहीं रखा गया हैं । वह गैरकानूनी और अन्यायी कदम हैं । अर्जीकर्ता द्वारा हाईकोर्ट में कहा गया है कि निर्जी स्वनिर्भर स्कुल संचालकों अभिभावकों से अधिक फीस वसूली को रोकने कानून बनाया गया हैं । जिससे संबंधित यह मुद्दा है वह अभिभावकों को ही फीस निर्धारण कमिटी में स्थान नहीं मिले तो कैसे चले । अभिभावकों के प्रतिनिधि को कमिटी में स्थान मिलना चाहिए । क्योंकि तय की गई फीस पर आपत्ति हो तो वह उसका विरोध कर सके । इसी तरह के शिक्षकों के प्रतिनिधि को भी शामिल नहीं किया गया हैं । महाराष्ट्र में इसी तरह का कानून हैं लेकिन फीस कमिटी में अभिभावक और शिक्षक के प्रतिनिधि को शामिल किया गया हैं। इतना ही नहीं फीस भी तभी तय होती है जब अभिभावक और शिक्षकों के एशोशिएशन द्वारा मंजूरी दी जाती हैं । अर्जीकर्ता द्वारा स्कुल की प्राथमिक सुविधा की जांच के लिए टीम जाए तब भी अभिभावक और शिक्षक के प्रतिनिधि को साथ रखने अर्जी में मांग की गई हैं ।
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