अगले महीने से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागु होने के बाद से जरुरी दवाओं की कीमत २.२९ फीसदी तक बढ सकती है । सरकार ने ज्यादातर जरुरी दवाओं की कीमत पर १२ फीसदी जीएसटी रेट तय किया है । इन दवाओं पर टैक्स की मौजुदा दर तकरीबन ९ फीसदी है । हालांकि, इंसुलिन जैसी चुनिंदा दवाओं की कीमतो में गिरावट भी हो सकती है । दरअसल, सरकार ने इस पर जीएसटी रेट को पहले के १२ फीसदी की प्रस्तावित दर से घटाकर ५ फीसदी कर दिया है । जरुरी दवाओ की नैशनल लिस्ट में हेपारीन, वारफारिन, डिल्टियाजेम, आइबुप्रोफेन आदि शामिल है । ड्रग प्राइस रेग्युलेटर नैशनल फार्मासुटिकल प्राइसिंग अर्थोरिटी पहले ही एक नोटिफिकेशन जारी कर चुका है । इस नोटोफिकेशन में उसने कहा है कि एमआरपी पर एक्ससाइज ड्युटी लगने से तय दवाओं की कीमतो का आकलन मौजुदा अधिकतम कीमत पर ०.९५५९०५ फैक्टर लागु करने के बाद होगा । यह ऐप्लिकेबल जीएसटी रेट को छोडकर होगा । एनपीपीए के मुताबिक, एक्साइज ड्युटी से छुट पाने वाले शेड्युल्ड फोर्म्युलेशन उनकी मौजुदा एमआरपी और नोटिफाइड प्राइस की भी नई सीमा होगी । एनपीपीए के मुताबिक, नोन शेडयुल्ड फोर्म्युलेशन के मामले में अगर एमआरपी १० पर्सेंट की तय सीमा से परे जाती है, तो कंपनियो के पास नेट बढोतरी को बर्दाश्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा । रेग्युलेटर को इस बात का भरोसा है कि फार्मा इंडस्ट्री बिना किसी बडी दिक्कत के नए टैक्स सिस्टम को अपनाने की स्थिति में होगी । इस संस्था के चेयरमैन भुपिंदर सिंह ने बताया, मुझे इस बात का भरोसा है कि जिएसटी पर अमल में कमोबेश कोई बाधा नहीं आएगी और इससे देश में दवाओं की उपलब्ध में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी । इंसुलिन जैसी दवाओ के मामले में जहां जीएसटी रेट को प्रस्तावित १२ फीसदी से घटाकर ५ फीसदी कर दिया गया है । तो कंपनियों को एमआरपी घटाने की जरुरत होगी ।