प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत अगले कुछ वषोर्ं में सिंगल यूज प्लास्टिक से पूरी तरह छुटकारा पा लेगा । उन्होंने कहा कि सरकार ने ठान लिया है कि भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक की कोई जगह नहीं होगी, इसके साथ उन्होंने दुनिया से भी ऐसा ही करने की गुजारिश की । उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित यूनाइटेड नेशंस कॉन्वेंशन टु कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के १४वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारतवासी भूमि को पवित्र और अपनी माता मानते हैं, इसलिए हमारे जीवन में जमीन का हमेशा से बहुत अधिक महत्व रहा है । २ से १३ सितंबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में दुनियभार के डेलिगेट्स आए हुए हैं । बता दें कि भारत दो साल के लिए इसका सह-अध्यक्ष होगा । कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि भारत ने जमीन को हमेशा महत्व दिया है ।
भारतीयों के लिए जमीन बेहद पवित्र होती है । यह हम इसे अपनी माता मानते हैं । यहां तक कि सुबह जमीन पर पांव रखने से पहले मंत्रोच्चार के जरिए धरती से क्षमा प्रार्थना करते हैं । मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण जैसे मुद्दों को लेकर सहयोग करने में हमेशा आगे रहेगा । इसके बाद मोदी ने बताया सरकार पहले ही आनेवाले सालों में भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद होनेवाला है । उन्होंने कहा, वक्त आ गया है कि पूरी दुनिया सिंगल यूज प्लास्टिक को गुड बाय कर दे । इससे पहले पीएम ने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उठाए गए कदमों के बारे में बताया । यहां पीएम ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए पानी को बचाना भी जरूरी है । उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इसलिए ही जल शक्ति मंत्रालय बनाया है ।
मोदी बोले, हमारी सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुना करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं । इनमें लैंड रेस्टोरेशन और माइक्रो इरिगेशन शामिल हैं । हम पर ड्रॉप, मोर क्रॉप की प्रेरणा के साथ काम कर रहे हैं । हम जीरो बजट नैचरल फार्मिंग और सॉइल हेल्थ कार्ड तक की व्यवस्था कर रहे हैं । करीब २७ करोड़ सॉइल हेल्थ कार्ड बांटे जा चुके हैं । इससे पहले कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि मौसम और वातावरण का असर जैव विविधता और जमीन दोनों पर हो रहा है और पूरी दुनिया यह मान चुकी है कि जलवायु परिवर्तन हम सभी पर नकारात्मक असर डाल रहा है । मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से ही समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है, अनिश्चित वर्षा और तूफान आ रहे हैं और कभी-कभी पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ जाता है, जैसे सब उबल रहा हो । मोदी ने बताया कि भारत में विकास कायोर्ं के लिए जितनी जमीन से पेड़-पौधे काटने पड़ते हैं, उतने ही क्षेत्र में दूसरी जगह पर पेड़ लगाने भी होते हैं । साथ ही, काटे गए पेड़ की कीमत के बराबर फंड जमा करना पड़ता है । पिछले एक सप्ताह में करीब ६ अरब डॉलर (करीब ४० से ५० हजार करोड़ रुपये) का फंड आया है । उन्होंने आगे कहा, उन्होंने कहा कि मुझे बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत ने अपना पेड़ों का इलाका (वनाच्छादित क्षेत्र) बढ़ाया है । २०१५ से २०१७ के बीच यह पॉइंट आठ मिलियन हेक्टेयर बढ़ा है ।