बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को पूछताछ की। अधिकारियों ने बताया कि उनसे यह पूछताछ विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) उल्लंघन को लेकर की, यह पहली बार है जब ईडी ने फेमा उल्लंघन के मामले को लेकर के गोयल से पूछताछ की है। गोयल से यह पूछताछ ईडी के मुंबई में बालार्ड पियर कार्यालय में हुई है। इससे पहले ईडी ने गोयल और उनके सहयोगियों से जुड़े शहर के 10 स्थानों पर तलाशी की थी।
जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने देश और विदेश में अपनी बहुत सारी कंपनियां बनाकर टैक्स चोरी की दर्जनों योजनाओं का एक ‘ढांचा’ तैयार किया था और इससे बड़े पैमाने पर बचने वाले पैसे को विदेशों में स्थानांतरित कर दिया। हालांकि इस रकम की सही संख्या का पता नहीं लगा है लेकिन इतना माना जा रहा है कि गोयल ने अरबों रुपए बचाकर विदेश भेजे थे।
इसके सबूत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से 23 अगस्त को गोयल और उसके साझीदारों के मुंबई व दिल्ली स्थित दर्जन भर ठिकानों पर की गई छापेमारी में मिले हैं। ईडी ने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि इस छापामारी अभियान के दौरान अपराध साबित करने वाले विभिन्न दस्तावेज और डिजिटल सबूत मिले हैं। इन दस्तावेजों को जब्त करने के साथ ही आगे जांच की जा रही है। ईडी का कहना है कि विदेश की कई कंपनियां ‘अपरोक्ष’ तरीके से गोयल के नियंत्रण में हैं। इनमें से कई कंपनियां टैक्स हैवन देशों में स्थापित हैं।
ईडी के मुताबिक, इनमें से बहुत सारी विदेश कंपनियां को विभिन्न एयरलाइन लीज एग्रीमेंट, एयरक्राफ्ट मेंटिनेंस एग्रीमेंट आदि के जरिए फर्जी और ज्यादा भुगतान किए जाने के सबूत मिले हैं। गोयल द्वारा अपने ही समूह की दुबई स्थित कंपनी को जेट एयरवेज का एक्सक्लूसिव ओवरसीज जनरल सेल्स एजेंट बनाकर इनफ्लेटिड कमीशन (एक रुपए के काम के बदले 100 रुपए के बिल का भुगतान) के जरिए करोड़ों रुपए भेजने के सबूत मिले हैं। जांच एजेंसी के मुताबिक, विदेश में इन सभी कंपनियों के बैंक खातों का संचालन गोयल के पास ही होने की संभावना भी सामने आई है। प्रथम दृष्टया इन भुगतान के जरिए विदेश मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन स्पष्ट दिखाई दे रहा है।