आर्थिक विकास दर के छह साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद अब देश के अहम उद्योगों की वृद्धि दर में भी भारी गिरावट आई है । देश के आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि की रफ्तार जुलाई में घटकर महज २.१ फीसदी रह गई है । यह गिरावट कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस तथा रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन घटने की वजह से आई है । आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है । पिछले साल जुलाई में अर्थव्यवस्था के आठ अहम क्षेत्रों-कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट तथा बिजली उत्पादन की वृद्धि दर ७.३ फीसदी रही थी । केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस तथा रिफाइनरी उत्पादों की वृद्धि दर जुलाई में नेगेटिव रही है । अप्रैल-जुलाई की अवधि में आठों अहम उद्योग की वृद्धि दर तीन फीसदी रही थी, जो पिछले साल की समान अवधि में ५.९ फीसदी की दर से आगे बढ़ी थी । इससे पहले पिछले दिनों जून तिमाही के आर्थिक विकास दर के आंकड़े जारी किए गए हैं, जो छह साल का निचला स्तर दर्शाता है । अप्रैल-जून तिमाही में विकास दर घटकर ५ फीसदी पर पहुंच गई है । इससे पहले बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में आर्थिक विकास दर ५.८ फीसदी रही थी ।आर्थिक विकास दर में गिरावट के बाद भारत से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा छिन गया है । पहली तिमाही में देश की वृद्धि दर चीन से भी नीचे रही है । अप्रैल-जून तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर ६.२ प्रतिशत रही जो उसके २७ साल के इतिहास में सबसे कम रही है । आर्थिक विकास दर के आंकड़े सामने आने के बाद प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा था कि जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में सुस्ती है, ऐसे में भारत की आर्थिक विकास दर का पांच फीसदी पर रहना कोई कम नहीं है । उन्होंने कहा कि घरेलू एवं वैश्विक कारकों की वजह से जीडीपी वृद्धि की रफ्तार में सुस्ती आई है और सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अनेक कदम उठा रही है ।