जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद ३७० को हटाने के फैसले को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने समय की मांग बताते हुए कहा कि देश की अखंडता और एकता के लिए यह जरूरी था । वेंकैया नायडू ने कहा कि यह सांप्रदायिक नहीं बल्कि देश की सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम था । चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में भाषण देते हुए वेंकैया नायडू ने कहा, अनुच्छेद ३७० को निरस्त करना देश की एकता और अखंडता के लिए समय की मांग थी । जम्मू कश्मीर का भारत में विलय अटल सत्य है ।
अनुच्छेद ३७० केवल एक अस्थायी प्रावधान था । हम किसी को भी भारत के आंतरिक मामलों में दखल करने नहीं देंगे । उन्होंने आगे कहा, २७ नवंबर १९६३ को अनुच्छेद ३७० को निरस्त करने के मुद्दे पर जवाब देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने स्वयं कहा था कि धारा ३७० महज एक अस्थायी प्रावधान है । वह संविधान का स्थायी भाग नहीं है । उपराष्ट्रपति ने कहा, पूरा देश अनुच्छेद ३७० के निरस्त होने से प्रसन्न है । यह देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा का मसला है । यह विषय सांप्रदायिक है ही नहीं ।बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद ३७० को हटाने का बिल पेश किया था । साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सिफारिश की थी । इसके बाद विपक्ष ने पुनर्गठन बिल पर राज्यसभा में काफी हंगामा किया लेकिन बाद में यह बिल दोनों सदनों से पास हो गया था ।
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