बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) नेताओं की कथित ‘जासूसी’ से संबंधित राज्य पुलिस की विशेष शाखा (स्पेशल ब्रांच) के एक आदेश के सार्वजनिक होने के बाद से राज्य की सियासत में भूचाल आ गया है । इसके बाद से जेडीयू बैकफुट पर है और पार्टी के नेता इसे बस रूटीन बताकर इससे पल्ला झाड़ने की कोशिश में हैं, वहीं बीजेपी ने इस मामले में सीधे नीतिश कुमार से सफाई मांगी है । मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को राज्य के संवेदनशील मामलों की जानकारी देने वाली प्रदेश पुलिस की खुफिया इकाई को आरएसएस नेताओं की जानकारी निकालने के लिए आदेश दिया गया था । इस आदेश की प्रति सार्वजनिक होने के बाद बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने कहा, मुख्यमंत्री नीतिश कुमार को इस आदेश के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए । सरकार ऐसी जांच क्यों आ रही है इसकी भी जांच हो जानी चाहिए । जिस अधिकारी ने पत्र जारी किया है, उसकी जांच भी होनी चाहिए । वहीं बिहार के शिक्षा मंत्री और जेडीयू नेता कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा से इस बारे में पूछे जाने पर कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है । मैं पार्टी का छोटा कार्यकर्ता हूं । यह मुझे नहीं मालूम । इधर बीजेपी के नेता और मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि आरएसएस सामाजिक दायित्वों को निभाने वाला संगठन है ।
विपक्षी दल इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष पर निशाना साध रही है । वहीं जेडीयू के नैशनल सेक्रटरी जनरल केसी त्यागी ने इसे रूटीन मामला बताया । केसी त्यागी ने कहा, यह रूटीन का मामला है जो कि प्रत्येक राज्य या केंद्र सरकार की खुफिया इकाई समय-समय पर करती रहती है । इसे किसी संगठन की छवि को टार्गेट करने या खराब करने की कोशिश के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए ।
यह आदेश स्पेशल ब्रांच के एसपी द्वारा २८ मई यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शपथ लेने के दो दिन पहले जारी किया गया था । इसमें प्रदेश के आरएसएस पदाधिकारियों और १७ सहायक संगठनों की विस्तृत जानकारी निकालने के आदेश दिए गए थे । पत्र में फील्ड ड्यूटी पर लगाए वरिष्ठ अधिकारियों को इस पर तत्काल रूप से एक हफ्ते के अंदर संबंधित जानकारी देने के लिए कहा गया था । लेटर की कॉपी स्पेशल ब्रांच के एडीजी, आईजी और डीआईजी को भी भेजी गई थी ।