Aapnu Gujarat
બ્લોગ

नये भारत का संदेश : न्यूजप्रिन्ट पर ड्युटी और ओन ड्युटी पत्रकारो को नो एन्ट्री..!

नये भारत की नई सरकार का कामकाज जोरशोर से शुरू हो गया है। 100 दिन को एजन्डा भी तैयार कर लिया गया है। उस पर काम चल रहा होगा। नये वित्तमंत्री निर्मला सितारामन का नया बजट भी पेश हो चुका है। करीब 28 लाख करोड का बजट है। इस बजट में शायद पहलीबार रक्षा मंत्रालय का जिक्र नहीं किया गया। वित्त मंत्रीजी ने इस बजट पर अखबारो द्वारा अखबार छापने के लिये जो न्यूजप्रिन्ट का उपयोग होता है उस पर 10 प्रतिशत की कस्टम ड्युटी लगा कर नये कस्टम यानि नई परंपरा की शरूआत की है। दुसरी खबर भी उनके ही मंत्रालय की आइ है। नोर्थ ब्लोक संकूल में पत्रकारो की एन्ट्री पर रोक लगा दी गइ है। केन्द्र सरकारने जिन्हें मान्यता दी है वह पत्रकार भी वित्त मंत्रालय में बिना इजाजत नहीं जा सकते है। वजह…? सरकार का मानना है की पत्रकार यहां वहां घूमते रहते है और गोपनीयता नहीं रहती। बजट संसद में पेश हुवा, कहां कितना खर्च करेंगी सरकार यह गोपनीयता नही है। लेकिन फिर भी नोर्थ ब्लोक में मिडिया की नो एन्ट्री।
अमरिका के राष्ट्रपति थामस जेफरसनने अखबार और सरकार दोनो का कितना महत्व है उसके लिये कहा था की क्या चाहिये- अखबार बिना की सरकार या सरकार बिना के अखबार…? यानि सरकार नहीं तो अखबार भी क्या काम के और अखबार नहीं तो सरकार भी कुछ काम की नही। सरकार है तो लोगो तक पहुंचने के लिये अखबार अनिवार्य। उस अखबार के कच्चे माल पर 10 प्रतिशत ड्युटी लगाने से जाहिर है की अखबार की कोस्ट बढेंगी। कइ लघु और मध्यम स्तर के अखबारों पर लागत बढ सकती है। एक अखबार के कालमनिस्टने सही कहा-कानूनी चेतावनीः न्यूजप्रिन्ट ड्युटी इस इन्जुरीयस टु ध हेल्थ आफ अवर डेमोक्रेसी….! यह ड्युटी लोकतंत्र के लिये हानिकारक है और दंगल स्टाइल में कहे तो बापू नहीं लेकिन माता (निर्मलाजी) तु तो हानिकारक है….! इस बजट को कइ अंग्रेजी अखबारोने सितानोमिक्स भी कहा है। सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पडा था। लगता है की इस सितामाता के बजट में मिडिया को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड रहा है….!
मंत्रालय में मिडिया के लिये नो एन्ट्री से क्या ये अंदर की खबर या समाचार आना बंद हो जायेगे…? क्या सभी कर्मचारी या अफसर ऐसे है जैसा सरकार चाहती है की सब मूंह पर उंगली रख कर काम करे…? मिडिया चाहे तो कहीं से भी अंदर की खबर ला सकता है। राफेल विमान के दस्तावेज या बोफोर्स के दस्तावेज मिडियाने ही अंदर से ला कर जनता तक पहुंचाये। सभी कर्मी या अफसर नागपूर वाले नहीं होते। कइयों की आत्मा जगती है ऐर सरकार के गलत निर्णयो की खबर अखबार तक पहुंचती है। नो एन्ट्री से खबर नहीं रूकेंगी, सरकार प्रभावहिन हो जायेगी। आखिर सरकार या बजट किस के लिये है…? बडे बडे पूंजीपतियों के लिये या झुग्गी में रहनेवालों का जीवन स्तर उपर लाने के लिये….? दुसरे दल की सरकार में यही नेतागण अखबारों को उकसाते थे-लिखो…लिखो…सरकार ने 10 लाख करोड का घोटाला किया…! लेकिन जब खुद सरकार में आये तब…? राम के माधव की तरह भोले भाव से- मंत्रालय में मिडिया का क्या काम है…सरकार को जो कहना है प्रेसनोट या बाइट भिजवा जी जायेंगी..! मतबल आया समझ में का…? बिटवीन ध लाइन ये है की मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं…! लोकतंत्र के लिये 10 प्रतिशत ड्युटी दूर कर अखबारों को राहत मिले और नो एन्ट्री की जगह एन्ट्री मिले तो कबीर (बालीवुड वाला कबीरसिंह नही….!) ने सही कहा की सबहु हिलमिल रहे..जैसे नदी पेड छांव…!!

Related posts

મોદી માટે મોરચો મુશ્કેલ રહેશે

aapnugujarat

ભારત અને ચીન બંને સરહદેથી સેના હટાવવા થયા સંમત

editor

MORNING TWEET

aapnugujarat

Leave a Comment

UA-96247877-1