संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में साल 2030 तक 4 में से 1 बच्चा अनपढ़ रह जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने पाक समेत सभी निम्न व मध्य आय वाले देशों की लताड़ लगाई है कि दुनिया के सतत विकास लक्ष्य की सीमा 2030 तक वे बच्चों की शिक्षा का लक्ष्य क्यों पूरा नहीं कर पाए। दुनिया के सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पांच साल पहले ‘एजेंडा -2030’ अपनाया था। इसके तहत सभी कम और मध्य आय वाले देशों के बच्चों को 12वीं तक की शिक्षा दिलाए जाने का लक्ष्य है। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान अपनी योजना ‘सबके लिए शिक्षा के 12 साल’ का लक्ष्य आधा ही पूरा कर पाएगा। मौजूदा दर के हिसाब से 50 प्रतिशत युवा अब भी उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
साल 2030 में जब सभी बच्चों को स्कूल में होना चाहिए तो 6 से 17 साल की उम्र के चार बच्चों में से एक बच्चा शिक्षा की जद से बाहर हो जाएगा। कई बच्चे अब भी स्कूल छोड़ रहे हैं। मौजूदा दर के अनुसार, साल 2030 तक 40 प्रतिशत बच्चे माध्यमिक शिक्षा पूरी नहीं कर पाएंगे। यूनेस्को सांख्यिकी संस्थान के निदेशक सिल्विया मोंटोया ने कहा कि देशों को अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करने की जरूरत है। लक्ष्य तय करने का क्या औचित्य है अगर हम उन्हें पूरा नहीं कर सकते? समयसीमा के करीब पहुंचने से पहले बेहतर वित्त और समन्वय इस खाई को पूरा करने के लिए जरुरी है।
2015 में यूनेस्को की ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट ने पाया था कि इस योजना के लिए वार्षिक बजट में 39 अरब डॉलर का घाटा हो रहा था। लेकिन 2010 से ही शिक्षा के लिए सहायता राशि रुकी हुई है। भारत में भी स्कूली बच्चों के ड्रॉप आउट होने की खबरें आती रहती हैं इसलिए 2030 तक सभी बच्चों को 12वीं की पढ़ाई कराना भारत के लिए भी चुनौतीपूर्ण स्थिति है। भारत एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है लेकिन भारत सरकार के आर्थिक सलाहकार कह चुके हैं कि भारत के लिए बड़ा संकट यह है कि वह मध्य आय के जाल में फंस सकता है। अगर भारत इस चुनौती से नहीं निकला तो इसका असर शिक्षा के बजट पर पड़ेगा और यूनेस्को द्वारा तय लक्ष्य को पाना मुश्किल होगा।