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इले. एक्ट की धारा-६८ की संविधानीय कानूनता को चुनौती : हाईकोर्ट में किसानों की रिट याचिका

राज्य में किसानों की जमीन में सरकारी बिजली कंपनियों द्वारा ओवरहेड इलेक्ट्रीसिटी लाइन डालने की करतूत से किसानों की जमीन को हो रहे नुकसान पर उनको मुआवजे की गुजरात हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण रिट याचिका दाखिल कराई गई हैं । रिट याचिका में इलेक्ट्रीसिटी एक्ट की धारा- ६८ अनुसार सरकार के सत्ताधिकारियों ने ऐसी ओवरहेड बिजलीलाइन डालने की सत्ता मिलती है उसकी संविधानीय कानूनता को चुनौती दी गई हैं । मामला महत्वपूर्ण होने पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा काफी महत्वपूर्ण और किसानों से संबंधित होने के कारण इसकी आवश्यक जांच जरुरी हैं । हाईकोर्ट ने याचिका की कॉपी जेटको के वकील को देने निर्देश कर मामले की आगे की सुनवाई बुधवार के लिए स्थगित कर दी हैं । बारेजा के किसान रमणभाई अंबालाल पटेल तथा अन्यों द्वारा की गई रिट याचिका में सिनियर एडवोकेट विजयभाई एच पटेल ने पेशकश करते हुए कहा कि राज्य में किसानों की जमीनों में से सरकारी बिजली कंपनियों द्वारा ओवरहेड इलेक्ट्रीसिटी लाइन डाली जाती हैं । लेकिन सत्ताधिकारियों के इस कदम से तथा जमीन मालिकों के संविधानीय और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन हो रहा हैं । बिजली कंपनियां किसानों की जमीन में जब भी ओवरहेड इलेक्ट्रीसिटी लाइन डालते हैं तब कई पेड़ काटे जाते हैं तब किसानों को मुआवजा चुकाना होता हैं । लेकिन किसानों के जमीन के जिन हिस्से में इलेक्ट्रीक पोल या टावर डाला जाता हैं इसका कोई मुआवजा किसानों को सरकार द्वारा नहीं चुकाया जाता हैं । जिसके कारण बिजली कंपनीयां यह जमीन का हिस्सा निजी इस्तेमाल करने लगते हैं । हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर कोर्ट ने गंभीरता दिखाते हुए मामले में सुनवाई शुरु की हैं ।

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