असम में कुछ दिन पहले ही नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) की नई सूची जारी की गई है। इस सूची के आने के साथ ही इस पर विवाद भी गहरा गया है। मसौदे में एक लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किया गया है। आरोप है कि इस सूची में साहित्य अकादमी विजेता दुर्गा खातीवाड़ा, असम आंदोलन में शहीद हुईं पहली महिला बैजंती देवी और स्वतंत्रता सेनानी छविलाल उपाध्याय के परिवार के सदस्यों के साथ ही बड़ी संख्या में गोरखा समुदाय के लोगों का नाम नहीं है। इस लिस्ट के आने के बाद असम में एनआरसी का विरोध और तेज हो गया है।
गोरखाओं के एक संगठन ने कहा है कि स्वतंत्रता सेनानी छविलाल की प्रपौत्री मंजू देवी का नाम भी असम सरकार की नई सूची में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि एनआरसी की नई सूची बनाने में कई तरह की अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों, गोरखाओं और असम की प्रमुख हस्तियों के परिवार के सदस्यों का एनआरसी की प्रक्रिया से बाहर रखना पूरी तरह से इस प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाता है।
उन्होंने धमकी दी कि अगर जल्द ही इस तरह की समस्या का समाधान न निकाला गया तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। इस तरह लिस्ट से स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार का नाम हटाना दुखद है। गोजमुमो अध्यक्ष ने आरोपी लगाया कि असम के गोरखाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। स्वतंत्रता सेनानी छविलाल के परिजनों को डी सूची में शामिल किया गया। डी सूची में उन लोगों का नाम रखा जाता है कि जिन पर वहां के नागरिक होने का संदेह हो। इसी तरह से शहीद महिला बैजंती के परिवार को भी एनआरसी ने अयोग्य ठहराया है।