मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा मंत्रिमंडल में किए फेरबदल के बाद सभी मंत्रियों ने नए विभाग का कामकाज संभाल लिया है। केवल नवजोत सिंह सिद्धू ही ऐसे मंत्री हैं जिन्होंने बिजली विभाग की नई जिम्मेदारी अब तक नहीं संभाली है बल्कि राजनीतिक परिदृश्य से भी गायब हो गए हैं। उन्हें पिछले दिनों माता वैष्णो देवी मंदिर में जरूर देखा गया है, मगर पंजाब में किसी राजनीतिक गतिविधि से उन्होंने दूरी बना रखी है। सिद्धू द्वारा नया विभाग न संभालने के कारण गर्मी के मौसम में बिजली संबंधी बढ़ रही शिकायतों को देखते हुए मुख्यमंत्री फिलहाल खुद ही इसका जिम्मा संभाल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यदि सिद्धू का रवैया ऐसा ही रहा तो कै. अमरेंद्र और कड़ा फैसला लेकर इस विभाग की जिम्मेदारी किसी अन्य मंत्री को सौंप कर उन्हें पूरी तरह से फारिग भी कर सकते हैं। मुख्यमंत्री विभाग बदलने से लेकर एक महीने तक का इंतजार करेंगे। चूंकि गर्मी और आगे धान के सीजन के कारण इस पब्लिक डीङ्क्षलग वाले विभाग की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है, इसलिए किसी अन्य अनुभवी मंत्री को इसका जिम्मा सौंपा जा सकता है।
गौरतलब है कि कैप्टन ने 6 जून को मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया था। दरअसल, लोकसभा चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में सिद्धू ने कैप्टन अमरेंद्र सिंह पर अप्रत्यक्ष रूप में विवादास्पद टिप्पणियां की थीं और सूबे की जनता और राजनीतिक समझबूझ रखने वाले हर व्यक्ति ने सिद्धू का इशारा साफ तौर पर समझ लिया था कि वह किसके संबंध में बोल रहे हैं। चुनाव नतीजे घोषित होते ही कै. अमरेंद्र ने प्रैस कॉन्फ्रैंस बुलाकर स्पष्ट संकेत दे दिया था कि वह सिद्धू समेत कुछ अन्य मंत्रियों की कारगुजारी का आकलन कर उनके विभाग बदलेंगे। शहरी बैल्ट में कांग्रेस प्रत्याशियों को मिले कम वोट की गाज सिद्धू पर गिरेगी, ऐसा आभास उसी दिन हो गया था।
अब सिद्धू हालांकि आलाकमान में अपने सरपरस्त राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के साथ 10 जून को मुलाकात भी कर चुके हैं मगर इसके बाद भी उन्होंने नया विभाग नहीं संभाला। तब वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल को कैप्टन-सिद्धू के गिले-शिकवे दूर करने का जिम्मा सौंपते हुए राहुल गांधी ने उन्हें अपना नया विभाग संभालने के निर्देश देते हुए रा’यों के मसलों पर बाद में बात करने का भरोसा भी दिलाया था। उनका तर्क था कि कांग्रेस इस समय देश भर में पार्टी को मिली पराजय पर मंथन कर रही है, इसलिए राज्यों के मसले व आपसी विवाद पर बाद में बात होगी। अहमद पटेल ने इसके दो हफ्ते बीतने के बाद भी कै. अमरेंद्र से इस संबंध में न कोई मुलाकात की और न ही कोई बात की है। भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो अमरेंद्र ने उन्हें साफ कर दिया है कि उनका पंजाब में स्वागत है मगर सिद्धू के मसले पर वह किसी पुर्नविचार का एजैंडा लेकर न आएं क्योंकि वह अपने फैसले पर अडिग हैं।