शिवसेना के मुखपत्र सामना में आपातकाल को लेकर कांग्रेस पार्टी की जमकर खबर ली गई हैं। सामना में लिखा है कि देश का विकास किसने किया? कांग्रेस के नेता बार-बार ऐसा सवाल कर रहे हैं..तो ये भी बताइए कि देश की आत्मा को चीरने वाला आपातकाल किसने लादा था? देश की संसदीय परंपरा को नष्ट करने का प्रयास किसने किया? सामना में लिखा, 25 जून की रात को इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल की कालिमा थोपी। सामना में आगे लिखा है आपातकाल ने देश को क्या दिया? इससे अब बाहर निकलना होगा। इंदिरा गांधी ने आपातकाल लादकर विरोधियों को एकजुट होने का मौका दिया। जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सभी विरोधी पार्टियां एक हुईं और उन्होंने इंदिरा गांधी को हरा दिया। कांग्रेस ने आत्मा को कुचला, लेकिन देश की आत्मा मरी नहीं।
लोगों ने कांग्रेस को सबक सिखाया। देश में इंदिरा गांधी, गांधी परिवार और कांग्रेस की हार हो सकती है इस विश्वास को लोगों के मन में निर्माण करने का काम आपातकाल ने किया। सामना में लिखे लेख में राहुल गांधी के अध्यक्ष पद को लेकर भी खरी-खोटी सुनाई है। इसमें लिखा गया आपातकाल के बाद रायबरेली और अमेठी में गांधी परिवार की हार हुई और अब कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी में हार हुई। देश में एक नियम लगाने के लिए और अराजकता से बचाने के लिए उस समय आपातकाल जारी करना पड़ा, ये उस समय का समर्थन था। लेकिन इस प्रकार का कोई भी प्रत्यक्ष आपातकाल न लगाते हुए देश पर अनुशासन का हंटर चलाया जा सकता है, यह मोदी ने कर दिखाया।
विरोधियों को जेल में ठूंसने की अपेक्षा लोकतांत्रिक मार्ग से उन्हें हराना ही उचित मार्ग है। कांग्रेस के नेता और उनके बगलबच्चे सरकार पर जो आरोप लगा रहे हैं, उसे जनता ने नकार दिया। राफेल के भ्रष्टाचार का मुद्दा शांत हो गया है। नीरव मोदी लंदन की जेल में है और मेहुल चोकसी की एंटिगुवा देश की नागरिकता रद्द होने से वो पार्सल जल्दी ही हिंदुस्तान में लाया जाएगा। ये कदम देश की आत्मा को केवल जीवित रखने के लिए नहीं बल्कि उसे ‘अमर’ रखने के लिए है। सामना में आगे लिखा है कि कांग्रेस प्रमुख विरोधी दल नहीं रहा। राहुल गांधी द्वारा अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के कारण पार्टी की अवस्था पीपल पर उल्टे लटके भूत के समान हो गई है। विरोधियों की एकता बिखर चुकी है।