रिजर्व बैंक की मोनिटरी पोलिसी कमिटी ने फिर से नितिगत ब्याज दरो में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है । मौद्रिक निति की समीक्षा के बाद कमिटी ने ६.२५ प्रतिशत का रीपो रेट ही बरकरार रखा । इसके अलावा, रिवर्स रीपो रेट को ६ टका और सीआरआर को ४ टका पर ही बरकरार रखा गया है । हालांकि, स्टैचुटअरी लिक्विडिटी रेशो को २०.५० प्रतिशत से घटाकर २० प्रतिशत कर दिया गया । नई दर २४ जुन से लागु होगी । कमिटी ने एमएसएफ दर और बैंक दर को भी ६.५ प्रतिशत पर ही बरकरा रखा है । महंगाई को लेकर आरबीआई का कहना है कि मौजुदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में यह २ प्रतिशत तक रहा सकती है जबकि दुसरी छमाही में महंगाई दर ३.५-४.५ प्रतिशत तक रहने का अनुमान है । गौरतलब है कि एमपीसी के ५ सदस्य मौजुदा ब्याज दरो में बदलाव के पक्ष में नही है और उन्होंने इसे बरकरार रखने के पक्ष में मत दिया । एमपीसी ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान में ०.१ प्रतिशत की कटौती करते हुए इसे ७.४ प्रतिशत से ७.३ प्रतिशत कर दिया है । २१ जुन को एमपीसी मिनट्स जारी होंगे और एमपीसी की अगली बैठक १-२ अगस्त को होगी । दरअसल, विशेषज्ञो ने भी बैंको में नकदी के अंबार होने का हवाला देते हुए रेट कट की संभावना से इनकार किया था । ईटी ने मोनिटरी पोलिसी पर २० वित्तीय संस्थानो की राय ली थी । इसमें से ज्यादातर ने कहा कि इस बार एमपीसी ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगी, लेकिन सेंटीमेंट बदल सकता है । उन्होंने उम्मीद जताई थी कि आरबीआई की कोमेंट्री सोफ्ट रह सकती है । उनका अनुमान था कि एमपीसी के टोन से बैंक के आगे चलकर ब्याज दरों में बदलाव के बारे में संकेत मिलेगा । २०१७-१८ में अप्रैल से सितंबर के बीच आरबीआई महंगाई दर का अनुमान ४.५ प्रतिशत रखा है । वही, दुसरी छमाही में उसे इसके ५ प्रतिशत रहने की उम्मीद है । रिटेल इन्फ्लेशन अप्रैल में २.९९ प्रतिशत के रेकोर्ड लो लेवल पर आ गई थी, जबकि मार्च में यह ३.८९ प्रतिशत के साथ पांच महीने के पीक पर थी । बेस इफेक्ट और फुड प्रोडक्ट्स के दाम कम होने से महंगाई काबु में है । इसके साथ ही, देश में १ जुलाई से गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स लागु होने जा रहा है । मोनसुन सीजन में बारिस का भी महंगाई पर असर पडेगा । वहीं, पिछले कुछ महीनो से क्रुड ओइल के दाम में गिरावट आ रही है, जो भारत के हक में है ।