राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर लगता है कि विपक्षी दलो के बीच कोई आम सहमति नहीं है । सुत्रो के हवाले से पता चला है कि पश्विम बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपाल कृष्ण गांधी सरकार की और से संघ के किसी पूर्णकालिक सदस्य का नाम आने की स्थिति में विपक्षी दलो की पसंद हो सकते है । कांग्रेस वामपंथी दल और दुसरे विपक्षी दल महात्मा गांधी के पोते का नाम सामने लाकर एक प्रतिकात्मक संदेश देने की कोशिश करेंगे कि यह लडाई महात्मा गांधी के विचारधारा पर चलने वालो और उनकी मुखालफत करने वालो के बीच है । कांग्रेस की और से मीरा कुमार का नाम भी उस स्थिति में सामने आ सकता है । जब मोदी सरकार झारखंड के गर्वनर द्रुपदी मुरमु या करिया मुंडा या फिर दुसरे किसी शख्स का नाम पहचान की राजनिती के तौर पर उछाले विपक्षी दल हालांकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम सामने आने की स्थिति में बंटते हुए नजर आ सकते है । ऐसी खबर है कि विपक्षी दलो का एक हिस्सा जिसमें सोनिया गांधी भी शामिल है । संघर्ष की स्थिति से बचना चाहती है । उनकी नजर में आडवाणी एक सक्षम राजनेता है । हालांकि पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में कानुनी तौर पर फंसे हुए है और इस वजह से विपक्षी दलो में उनके नाम को लेकर अलग अलग राय भी हो सकती है । विपक्षी दलो की यह उम्मीद कि नरेंद्र मोदी आम राय बनाने में खुद आगे आएंगे, इसकी थोडी ही संभावना है । २००७ में युपीए ने प्रतिभा पाटिल का नाम लाया था तब उसने विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी या किसी और की उतनी परवाह नहीं की थी । सोनिया गांधी और वामपंथी दलो ने उस वक्त राष्ट्रपति के तौर पर कार्यकाल पुरा कर हट रहे एपीजे कलाम के प्रति वो सम्मान नहीं दिखाया था ।