अफगानिस्तान की सरकार ने करीब 170 तालिबान कैदियों को रिहा कर दिया है। जबकि 130 और कैदियों को जल्द रिहा किए जाने की संभावना है। सरकार ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब अफगानिस्तान में 18 साल से जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए तालिबान के साथ शांति वार्ता चल रही है। अफगान सरकार ने बताया कि रिहा किए गए कैदियों को तालिबान के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों को पुल-ए-चरखी जेल से रिहा किया गया। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने गत तीन मई को कबायली परिषद लोया जिरगा के सम्मेलन में तालिबान कैदियों को रिहा करने का एलान किया था। सरकार ने देश में शांति की राह तलाशने के मकसद से इस सम्मेलन की मेजबानी की थी।
आलोचकों का हालांकि कहना है कि सरकार के इस फैसले का नकारात्मक असर पड़ेगा। कैदियों को रिहा करने का निर्णय व्यापक चर्चा के बिना लिया गया। तालिबान कैदियों की रिहाई ऐसे समय पर हुई है जब अफगानिस्तान में शांति लाने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं। अमेरिका और तालिबान के बीच छह दौर की शांति वार्ता हो चुकी है। तालिबान के विरोध के कारण इस वार्ता में हालांकि अफगान सरकार को शामिल नहीं किया गया है। अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने बघलान और कुंदुज प्रांतों में तालिबान के दो हिरासत केंद्रों से 50 से ज्यादा बंधकों को मुक्त कराया है। सुरक्षा बलों ने सोमवार देर रात इन केंद्रों पर धावा बोला था। तालिबान ने यहां जिन लोगों को बंधक बनाकर रखा था उनमें ज्यादातर नागरिक थे।