भारत को इस बात को प्रमुखता से पेश करना चाहिए कि वह अमेरिका के फायदे के लिए क्या कर सकता है । अहम पब्लिक पोलिसी फोरम एस्पेन इंडिया ने इस महीने के आखिर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित अमेरिकी दौर के मद्देनजर द्धिपक्षीय संबंधो को बढाने के लिए पेश की गई रिपोर्ट में यह बात कही । रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे वक्त में जब राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की तरफ से पेरिस क्लाइमेट डील से बाहर निकलते हुए भारत जैसे देशो पर हमले भारत-अमेरिकी रिश्तो पर असर डाल सकते है, भारत को यह बताने की जरुरत है कि वह आईटी सेक्टर में रोजगार पैदा करने समेत अमेरिकी इकोनमी के लिए काफी कुछ कर सकता है । भारत अमेरिकी रिस्तो से जुडे एक्सपट्स ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच पहली मुलाकात दोनो नेताओ को एक दुसरे के बारे मे जानने में मदद करेगी । रिपोर्ट में कहा गया है, अमेरिका के साथ निपटने में भारत को निश्चय और भरोसा दिखाना चाहिए । राष्ट्रपति ट्रंप को भारत पर फोकस करने के लिए कहने की जरुरत है । उसे अपने हितो को लेकर काम करने में संकोच नही बरतना चाहिए । भारत को अमेरिकी वैल्यु चेन में शामिल होकर वहां की कंपनियो को निवेश के लिए राजी करने की जरुरत है । स्ट्रैटेजिक स्तक के साथ साथ जमीनी सक्तर पर भी काम करने की जरुरत है । रिपोर्ट के मुताबिक भारत को राष्ट्रपति ट्रंप के सामने खुद को पैकेज करने की जरुरत है । इसमें कहा गया है कि डिफेंस सेक्टर में भारत का अमेरिका के साथ हमेशा से अच्छा रिश्ता रहा है । अमेरिका से हथियारो की खरीद के मामले में भारत चौथे नंबर पर है । अमेरिकी इकोनमी में भारतीय आईटी इंडस्ट्री के योगदान का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, कई वजहो से भारत-अमेरिकी रिश्तो के लिए आईटी अहम सेक्टर है । दोनो देशो में एक दुसरे पर निर्भरता है । उन्हें हमारे मार्केट की जरुरत है । हमें उनके स्किल चाहिए अमेरिका में इंडियन आईटी इंडस्ट्री ४,००,००० से ज्यादा जोब्स को सपोर्ट कर रही है । पिछले कुछ साल में अमेरिका में जोब मार्केट में ग्रोथ २ फीसदी से भी कम रही है, जबकि आईटी सेक्टर में ग्रोथ करीब १० फीसदी है । अमेरिका में ८५ फीसदी भारतीय कंपनियो का अगले ५ साल में ठोस इन्वेस्टमेंट प्लोन है ।