लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद बिहार में महागठबंधन के भीतर अंतर्कलह चरम पर है। हार पर मंथन और समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक का जहां कांग्रेस ने बायकॉट किया, वहीं अब हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी के ताजा बयान ने महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में मांझी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को महागठबंधन दल का नेता मानने से इंकार कर दिया. मांझी ने कहा, ‘महागठबंधन में फिलहाल कोई नेता नहीं है। लोकसभा का चुनाव सभी ने अपनी-अपनी ताकत पर लड़ा. महागठबंधन के नेता का चयन विधानसभा चुनाव के वक्त होगा।’
मांझी के बयान पर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने पलटवार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनता दल ने तेजस्वी यादव को नेता मान लिया है। तेजस्वी के नाम में अब कोई बदलाव संभव नहीं। तिवारी ने कहा मांझी के विरोध पर उनसे बात की जाएगी। बता दें कि लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद 29 मई को पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर हुई इस बैठक में महागठबंधन के घटक दलों के कई बड़े नेता इसमें शामिल हुए, लेकिन इसमें कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई प्रतिनिधि नहीं पहुंचा। जाहिर है कि मांझी के इस बयान से साफ हो रहा कि वे निकट भविष्य में किसी बड़े फैसले का एलान कर सकते हैं। ऐसे में हार के बावजूद महागठबंधन दलों की एकजुटता दिखाने की कोशिश को बड़ा झटका लगा है।