केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर विश्व बैंक ने कहा कि यदि यह सफल रहता है तो इससे राजस्व को बढाने में मदद मिलेगी । विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी की सफलता से ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स के दायरे में आ सकेंगे । रिपोर्ट में कहा गया, २०१६-१७ में भारत ने नोटबंदी और एमनेस्टी स्कीम के जरिए अधोषित आय को टैक्स के दायरे में लाने में लाने में सफलता हासिल की । कुल टैक्स रेवेन्यु, राज्यो के शेयर समेत, बजट में तय किए गए लक्ष्य १०.८ फीसदी को पार कर ११.३ फीसदी तक पहुंच गया । इसकी वजह यह थी कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर उम्मीद से ज्यादा एक्साइज ड्युटी का कलेक्शन किया गया । इंडियाज ग्रेट करंसी एक्सचेंज नाम से लिखे चैप्टर में विश्व बैंक की ओर से टिप्पणी की गई, यदि नोटबंदी के जरिए अघोषित आय को टैक्स के दायरे में सफलता मिलती है तो फिर यह स्थिति हंमेशा के लिए हो सकती है । विश्व बैंक का मानना है कि नोटबंदी के जरिए सरकार अर्थव्यवस्था को नियमित और मजबुत करने की दिशा में आगे बढ सकती है । २००८-०९ में भारत की इकोनमी का आधा हिस्सा अनअकाउंटेड था और ८२ फीसदी लोगो को गैर कृषि कार्यो में रोजगार मिला हुआ था । गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले साल ८ नवंबर को ५०० और १००० रुपए के पुराने नोटो को बंद किए जाने का ऐलान किया था । मोदी के इस ऐलान के साथ ही मार्केट में प्रचलित ८६ फीसदी करंसी का चलन बंद हो गया था । विश्व बैंक के मुताबिक नोटबंदी के चलते अनियमित अर्थव्यवस्था में शामिल संसाधनो को नियमित इकोनमी में शामिल किया जा सकेगा । बैंक ने कहा कि फिलहाल जो फर्म्स डिजिटल पेमेंट्स को अपनाने को तैयार नही है, वे भी नोटबंदी के लिए नियमित इकोनमी का हिस्सा बन रही है ।
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