भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी आईएसआरओ अपने आने वाले सैटेलाइटो से संचार क्षेत्र में क्रांति करने की तैयारी में है । आईएसआरओ के जीएसएटी-१९, जीएसएटी-११ सैटेलाइट्स डिजिटल इंडिया के लिहाज से गेमचेंजर साबित हो सकते है, जो इंटरनेट सेवाओ और स्ट्रीमिंग के अनुभव को पुरी तरह बदल लेगे । आईएसआरओ अपने रोकेट प्रक्षेपण केंद्र श्रीहरिकोटा में एक महा प्रयोग कर रहा है । इसके तहत एक महा रोकेट को छोडने की तैयारी हो रही है जो एक नई ही श्रेणी के कोम्युनिकेशन सैटेलइट को अंतरिक्ष में ले जाएंगा । जीएसएटी-१९ की डिजाइन अमदावाद स्थित स्पेस अप्लिकेश सेंटर में तैयार किया जा रहा है । स्पेस अप्लिकेश सेंटर डायरेक्टर तपन मिश्रा इसे भारत के लिए गेमचेंजर सैटेलाइट बता रहे है । अगर यह कामयाब हुआ तो एक अकेला जीएसएटी-१९ सैटेलाइट पुराने ६-७ सैटेलाइटो के समुह के बराबर होगा । अभी अंतरिक्ष में भारत के ४१ सैटेलाइंट्स है जिनमें से १३ कोम्युनिकेशन सैटेलाइट्स है । जीएसएटी-१९ सैटेलाइट की वजह ३१३६ किलोग्राम है जो एक हाथी के वजह के बराबर है । यह भारत की तरफ लोन्च किया जाने वाले सबसे भारी सैटेलाइट होगा । खास बात यह है कि जीएसएटी-१९ सैटेलाइट में पहली बार कोई ट्रांसपोडर नही होगा । यानी पुरी तरह से नई तकनीक का इस्तेमाल होगा । इससे इंटरनेट क्षमता कम से कम ६ से ७ गुना बढ जाएगी । इतना नही, आईएसआरओ के वैज्ञानिक का कहना है कि जीएसएटी-१९ तो सिर्फ ट्रेलर होगा, असली तो जीएसएटी-११ सैटेलाइट होगा । उसे जीएसएटी-१९ के बाद छोडा जाएगा । इसका वजह ५.८ टन होगा, जिसे दक्षिण अमेरिका के कोउरो से छोडने की योजना है । इन सैटेलाइटस के बाद इंटरनेट स्पीड कई गुना ज्यादा बढ जाएगी ।