जीेसटी लागू होने के बाद से कारोबारियों के अलावा आम लोगों के बजट पर भी असर पडेगा । बैंकिंग, इंश्योरेन्स और रियल एस्टेट, म्युचुअल फंड्स इन्वेस्टमेन्ट पर फिलहाल टैक्स की दर १५ प्रतिशत है । जीएसटी लागू होने के बाद इसमें ३ प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा और यह रेट १८ फीसदी हो जाएगा । मुख्य तौर पर तीन तरह के इंश्योरेन्स होते हैं । टर्म इंश्योरेन्स, युलिप्स और भविष्य निधि (मनी बैक समेत) । मौजूदा व्यवस्था में इन तीनों पर टैक्स की अलग अलग दर लागू होती है । लाइफ इंश्योरेन्स पॉलिसीज में अदा की जाने वाली प्रीमियम दो हिस्सों में अदा की जाती है रिक्स कवरेज और सेविंग्स । इसमें से रिस्क कवरेज वाले हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगता है । जबकि सेविंग्स को इससे छुट मिलती है ।इस तरह आनेवाले दिनों में जीएसटी लागू होने के बाद पॉलिसी होल्डर्स को अधिक राशि अदा करनी होगी । इसे ऐसे भी कह सकते है कि १ जुलाई के बाद पॉलिसी होल्डर्स को लाईफ, हेल्थ और जनरल इंश्योरेन्स कवर पर ३ प्रतिशत अधिक प्रीमियम देना होगा । इंश्योरेन्स बायर्स को ऐसी स्थिति में ही लाभ हो सकता हैं, जब कंपनियां इनपुट टैक्स क्रेडिट के फायदे उन्हें देने पर सहमत हों । इसी तरह से कार, हेल्थ और अन्य लाइफ इंश्योरेन्स जैसी जनरल पॉलिसीज भी ३ फीसदी तक महंगी हो जाएगी । इसका इसर बहुत मामूली होगा, लेकिन मौजूदा और नए पॉलिसी होल्डर्स को अतिरिक्त राशि चुकानी होगी । यदि १५ फीसदी सर्विस टैक्स को हटाने के बाद कोई इंश्योरेन्स बायर १०००० रुपये चुकाता है तो जीएसटी लागू होने के बाद उसे ३०० रुपये अधिक चुकाने होंगे औरवह ११५०० रुपये की बजाय ११८०० रुपये चुकाएगा । इसलिए अब जब भी आप प्रीमियम की तुलना करे तो यह जीएसटी समेत और उसे हटाकर सभी प्रीमियरम्स के रेट जान लें ।