भारत की सैन्य तैयारियां क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिहाज से सर्वोत्तम हैं । इन्हें सरकारी एवं निजी क्षेत्रों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के जिरए पूरी तरह देश में निर्मित वेपन सिस्टम्स और प्लैटफॉर्म्स का संपूर्ण समर्थन प्राप्त होगा । रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कोई भी देश सिर्फ बांहरी हथियारों की खरीद या आयात के बल पर हमेशा युद्ध नहीं जीत सकता । उसकी सुरक्षा तैयारियां तब तक पूरी नहीं होगी । जब तक वह सिर्फ आयात पर ही निर्भर रहेगा । रक्षा क्षेत्र की सरकारी कंपनियों के एक अवोर्ड फंक्शन में जेटली ने भारत को आर्म्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की खुद की क्षमता प्रदर्शित करने की जरुरत पर जोर दिया । सरकार ने रक्षा उत्पादन में देश के निजी क्षेत्र की भूमिका बढ़ाने के लिए स्ट्रैटिजिक पार्टनरशिप पॉलिसी को हाल ही में हरी झंडी दी हैं । इस पॉलिसी के तहत प्राइवेट सेक्टर की चुनिंदा कंपनियां मेक इन इंडिया के दायरे में लड़ाकू विमान, हेलिकोप्टर, सबमरीन और टैंक जैसे बख्तरबंद वाहनों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए वैश्विक हथियार कंपनियो के साथ भागीदारी कर पाएगी । डीआरडीओ और इसके ५० लैब्स, पांच सरकारी रक्षा कंपनियों, चार शिपयाड्र्स और ४१ ऑर्डनैंस फैक्ट्रियों के आशानुरुप प्रदर्शन नहीं कर पाने और बड़े पैमाने पर निजी कंपनियों को रक्षा उत्पादन में आकर्षित करने में असफलता की वजह से भारत अब भी अपना करीब ६५ प्रतिशत मिलिट्री हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आयात कर रहा हैं । रक्षा मंत्री ने कहा कि सुरक्षा जरुरतें इस बात से तय होती हैं कि आपके पड़ोसी कैसे हैं और स्वाभाविक तौर पर भूराजनैतिक द्दष्टि से इलाके में अजीब परिस्थितियों के मद्देनजर हमारी तैयारी ही सर्वोत्तम प्रतिरोधक हैं । जहां तक बात हमारे क्षेत्र की है, यही शांति की गारंटी हैं । उन्होंने कहा कि सरकारी रक्षा कंपनियों और प्राइवेट सेक्टर के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से सर्वोत्तम क्षमता का उभार होगा । प्रतिस्पर्धा हमेशा ही क्षमता, दक्षता और मूल्य नियंत्रण की सर्वोत्तम गारंटी होती हैं ।