पाकिस्तान से सटी ७७८ किमी लंबी लाईन ऑफ कन्ट्रोल पर भारतीय सेना इस वक्त अपना पूरा जोर लगा रही है । पडोसी मुल्क की ओर से पैदा की जा रहीं मुश्किलों से निपटने में सेना पुरी ताकात के साथ जुटी हैं । हालांकि, उसकी नजरें चीन पर भी हैं । चीन से सटी लाईन ऑफ एक्चुअल कन्ट्रोल (एलएसी) पर भी अपनी पैठ मजबूत कर रही है । लगभग १३ लाख संख्याबल वाली भारतीय सेना ने उत्तरी सीमाओं के पास फंड की कमी के बावजूद अपनी सक्रियता बढा दी है । चीन की सीमाओं से सटे इस क्षेत्र में सेना ने माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स के दूसरे डिविजन को सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरु कर दी है । वहीं लद्दाख में इस साल के अंत तक युद्ध, अभ्यास की भी योजना हैं । सेना से जुडे उच्चस्तरीय सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार को बताया कि, ७२ इनफेन्ट्री डिविजन जिसका हेडक्वॉर्टर पठानकोट में हैं, को अलगे ३ सालों में पूरी तरह से ऑपरेशनल बनाया जाएगा । सेना के सूत्र ने कहा कि, फिलहाल शुरुआत में इसमें १ ही ब्रिगेड हैं, लेकिन तीन साल में जब ७२ इनफेन्ट्री डिविजन पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएगा तो इसमें ३ ब्रिगेड होंगे । अगले ३ सालों में ऐसा होने की संभावना हैं । १७ माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स का विस्तार सेना ने जनवरी २०१४ में हु शुरु किया है । चीन ने खिलाफ यह पहली बार किया जा रहा है । इससे पहले तक, सेना के तीन स्ट्राइक कॉर्प्स का इस्तेमाल मुख्य तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ ही किया जाता रहा है । आर्मी चीफ बिपिन रावत ने पूर्व में हमारे यगयोगी अखबार को इस बारे में जानकारी दी थी । रावत ने बताया था कि १७ कॉर्प्स में दो उच्च स्तरीय इन्फेन्ट्री डिविजन होंगे । साथ ही तोपखाने, बख्तरबंद, एयर डिफेंस, इंजिनियर ब्रिगेड से लैस इसका विस्तार लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक किया जाएगा । आर्मी चीफ के अनुसार, इसके लिए ९०२७४ सैनिकों को तैात किया जाएगा । २०२१ तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा, जिसमें ६४६७८ करोड रुपए की लागत आएगी ।