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पबजी से बचा लो रब जी, परेशान पैरंट्‌स मांग रहे दुआ

परीक्षा के दिनों में अपने बच्चों को लेकर चिंतित मांएं ऊपर वाले से यही प्रार्थना कर रही हैं कि वे ही इस पबजी जैसे ऑनलाइन गेम्स से उनके बच्चों को बचा लें । मोबाइल गेम पबजी का मिशन अब खतरनाक मोड़ आ गया है । अब बच्चे पढ़ाई या फ्यूचर की चिंता छोड़ पबजी का मिशन पूरा करने में जुटे हैं । इस बारे में जब हमने मनोचिकित्सकों से बात की तो उनका कहना था कि बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ेपन के ४० फीसदी मामलों का कारण इन दिनों पबजी ही बना हुआ है । करीब १ साल पहले पबजी गेम एक जापानी थ्रिलर फिल्म बैटल रोयाल से प्रभावित होकर बनाया गया । इसमें सरकार की ओर से छात्रों के एक ग्रुप को जबरन मौत से लड़ने भेजा जाता है । इस गेम में लगभग १०० खिलाड़ी किसी टापू या अनजान युद्धि भूमि पर पैराशूट से छलांग लगाते हैं और हथियार खोजते हैं । खेलते-खेलते बच्चे इसमें इतना खो जाते हैं कि खुद को इसी दुनिया में महसूस करने लगते हैं । इसमें अन्य लोगों से जुड़ने के लिए चैट ऑप्शन भी है, जिससे वह खेलने वाले को एक आभासी दुनिया में ले जाता है । इस गेम में खून-खराबा इतना ज्यादा है कि लगातार गेम खेलने वाले का व्यवहार बदलने लगता है । मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो बच्चों को गेम की लत लग जाती है, उसे मेडिकल भाषा में ऑब्सेशन कहते हैं । अभिभावक बच्चों को अगर रोकने की कोशिश भी करते हैं तो वह चाहकर भी नहीं रूक पाता है । बचपन में प्यार ज्यादा मिले तो बच्चे को कंडक्ट डिसऑर्डर का खतरा हो जाता है और उसका इलाज न हो तो वह कंडक्ट एंटी सोशल पर्सनैलिटी बन जाता है और वह वारदात को भी अंजाम दे सकता है । मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्यागी की मानें तो उनके पास हर दिन ४ से ६ मामले ऐसे आ रहे हैं जिसमें बच्चों को पबजी गेम की लत लगी हुई है । कंडक्ट डिसऑर्डर कई सारी व्यावहारिक और भावनात्मक समस्याओं का ग्रुप है, जो बचपन या किशोरावस्था में शुरू होता है ।

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