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सौराष्ट्र, कच्छ के अधिकांश बांध अब पुरी तरह से सुखे

गुजरात में सौराष्ट्र कच्छ के अधिकांश बांध सुख गए है । जबकि कई बांध पेंदो में सिमट चुके है । मिली जानकारी के मुताबिक कई बांधो में पानी बिलकुल भी नहीं है । प्रदेश के बांधो में एक चौथाई पानी ही बचा है । सूखा क्षेत्रो में सुमार गुजरात में मानसून का मौसम शुरू होने में अभी एक माह से ज्यादा का समय बाकी है । बजकि यहां लोगों एवं वेशियों के पीने के पानी का प्रमुख आधार ऐसे बांधो में औसतन बमुश्किल एक चौथाई पानी बचा है । सौराष्ट्र-कच्छ के तो अधिकांश बांथ पूरी तरह से सुख गए हैं । अन्य इलाको के भी कई बांधो में पानी पेदे तक सिमट गया है । राज्य के बांधो में पानी की स्थिति को लेकर चालू माह में पिछले पखवाडे तक के उपलब्ध आंकड़ों पर गौर करे तो सौराष्ट्र कच्छ क्षेत्र के डॉन, गजोड, वाडी, टप्पर, बछापरी, राजवाल, कंकावटी, ओजत वेयर, मोटा गुजरिया, लंक, उण्ड-१, इश्वरिया, नाइका, रंगमती, धेलो-१, कालाघोडा, शेढ़ामाधरी, फुलजर-१, हमीररा, उटाक्ली, उमरिया, दोशवाडा, गोढाटड, शेन्द्रो, वाड़िया, संक्रोली, सूरजवाडी, मालपारा, लिंबाली, लखंका, कनियाड, भीमड़ वतु-१, बिरखी गधाकी, रूपारेल, उण्ड-२, आजी-४, डेमी-३ फोफल-२, सुपाडा, सोनमती, फुलजर-२, वेराडी, रूपावटी, उण्ड-३, सिंधानी, खबरका, उबेन, प्रेमपारा, व्रजमी, खंभाला, अमीपुर, कालीन्द्री, अडवाना, वेरी, आजी-१, छप्परवाडी-२, मोतीसर, सुरवो, डोन्डी, सोडावदर, डेमी-१, गोंडाली, कबीर सरोवर, घेलो-एस, फंगाबेटी, बांगावाडी, धारी, मालगढ़, वंसल, निंबानी, ब्रह्मानी, मोरसल, सबूरी, त्रिवेणी थांगा, मिनसर-५ एवं सारण बंध परी तरह से सूख गए है । जबकि क्षेत्र के अन्य बांधो में दो से २० फीसदी तक पानी रह जाने से पेदे नजर आने लगे हैं । हालांकि दक्षिण व मध्य गुजरात के बांधो में २० से २० फीसदी तक पानी उपलब्ध होन से स्थिति कुछ सन्तोषजनक है । इन क्षेत्रों में कई स्थलों में हो जाने से पीने के पानी का विकल्प बन गया है । दूसरी ओर से प्रदेश में पानी की किल्लत को लेकर प्रशासन का दावा है कि राज्य सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों लोगों एवं मवेशियों को प्रयाप्त चारा-पानी की व्यवस्था कर दी है ।
वर्तमान में करीब सात सौं गांवो को रोजाना टैंकरो से पानी पहुंचाया जा रहा है । मवेशियों के लिए रियायती मूल्य पर घास-चारा की व्यवस्था की गई है । कच्छ के कई इलाको में पानी की किल्लत हल हो जाएगी । राज्य में निर्माण कार्य पूरा कर ली गई सभी नहरों में एक जून से नर्मदा का पानी छोड़ना शुरू कर दिया जाएगा । इससे प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में पानी की किल्लत का स्थायी निपटारा हो जाएगा ।

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