सुपरकॉप, पंजाब का शेर नाम से पहचाने जाने वाले पंजाब के पूर्व डीजीपी केपी एस गिल का दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया । गिल ८२ साल के थे । डॉक्टर्स के मुताबिक केपीएस गिल की दोनों किडनी फेल थी और वह आखिरी स्टेज पर थे । डॉक्टर्स ने बताया कि गिल के दिल का भी इलाज चल रहा था । गिल दो बार पंजाब के डीजीपी रह चुके थे ।
उन्हें अपने सख्त मिजाज और पंजाब में अलगाववाद पर नियंत्रण पाने के लिए जाना जाता था । केपीएस गिल भारतीय पुलिस सेवा से साल १९९५ में सेवानिवृत्त हो चुके थे । इसके अलावा गिल इन्स्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट और इन्डियन हॉकी फेडरेशन के भी अध्यक्ष रह चुके थ े। गिल को प्रशासनिक सेवा में उनके बेहतरीन काम को ध्यान में रखते हुए साल १९८९ में पद्मश्री से नवाजा जा चुका था । साल १९८८ से १९९० तक पंजाब पुलिस के प्रमुख की भूमिका निभाने के बाद गिल को १९९१ में फिर से पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया गया था । इस दौरान पंजाब में सिख चरमपंथी और खालिस्तान आंदोलन समर्थकों सक्रिय थे । पंजाब में अलगाववादी आंदोलन को कुचलने का सबसे ज्यादा श्रेय केपीएल गिल को ही जाता है । इसके बाद साल २००० से २००४ के बीच श्रीलंका ने लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (एलटीटीई) के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए भी गिल की मदद मांगी थी । साल २००६ में छत्तीसगढ राज्य ने गिल को नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए सुरक्षा सलाहकार के दौर पर नियुक्त किया था । गिल पर अक्सर मानवाधिकारों के हनन का आरोप भी लगते रहे ।
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