कई राज्यों में किसानों की कर्जमाफी के बीच रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि किसी सामान्यीकृत कृषि कर्जमाफी का क्रेडिट कल्चर और कर्जदार के व्यवहार पर बहुत बुरा असर पड़ता है । यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि हाल ही में तीन राज्यों में नवनिर्वाचित सरकारों ने चुनाव पूर्व वादे के मुताबिक कृषि कर्जमाफी की घोषणा की है ।
किसानों के लिए राज्य सरकारों द्वारा कर्जमाफी को लेकर पूछे गए सवाल पर दास ने कहा कि यह राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति से जुड़ा हुआ है । उन्होंने कहा, निर्वाचित सरकारों के पास वित्तीय फैसले लेने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन सरकार को कर्जमाफी पर फैसले से पहले सावधानीपूर्वक अपनी वित्तीय स्थिति की जांच करनी चाहिए ।
गवर्नर ने कहा, राज्य सरकार को यह भी देखना चाहिए क्या उनके खजाने में इसके लिए गुंजाइश है और क्या वे बैंको को तत्काल कर्ज का पैसा चुका सकती है । सामान्य लोन माफी से क्रेडिट कल्चर पर असर पड़ता है । साथ ही इससे कर्ज लेने वालों के भविष्य के व्यवहार पर भी असर पड़ता है । मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में १.४७ लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण बकाया है । हाल में इन राज्यों ने कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है । २०१७ में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब ने किसानों के बकाया कर्ज को माफ करने की घोषणा की थी । इससे पहले इसी साल कर्नाटक की गठबंधन सरकार ने भी किसानों का कर्ज माफ किया है । यह पूछे जाने पर कि क्या २००० के नोट को धीरे धीरे हटाया जा रहा है, कहा कि आर्थिक मामलों के विभाग ने पहले ही इस पर स्थिति साफ कर दी है और अब इसमें और जोड़ने के लिए नहीं है । पिछले सप्ताह सरकार ने संकेत दिया था कि २००० के नोट की छपाई बंद कर दी गई है, क्योंकि प्रणाली में पर्याप्त मात्रा में ये नोट है ।