दुनिया के बहुत से देशो से गुजरने वाले चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जताई है । संयुक्त राष्ट्र इकनोमिक ऐंड सोशल कमिशन फोर एशिया ऐंड पैसिफिक की हाल की एक स्टडी में दक्षिण और मध्य एशिया के उन देशो के कर्ज में फंसने की चेतावनी दी गई है, जिनमें चीन की और से घोषित इनवेस्टमेंट की वैल्यु संबंधित देश की अर्थव्यवस्था के साइज की तुलना में अधिक है । संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि २०१५ में चीन और उज्बेकिस्तान के बीच साइन की गई १५ अरब डोलर की इनवेस्टमेंट डील उज्बेकिस्तान के जीडीपी के लगभग एक चौथाई के बराबर है । इसी तरह २०१४ के अंत और २०१५ की शुरुआत में कजाकिस्तान के साथ हुए चीन के को ओपरेशन अग्रीमेंट्स और अप्रैल २०१५ में चीन पाकिस्तान के बीच ४६ अरब डोलर का अग्रीमेंट कजाकिस्तान और पाकिस्तान के जीडीपी के २० पर्सेंट से अधिक का है । पाकिस्तान में अब चीन का इनवेस्टमेंट ६२ अरब डोलर पर पहुंच गया है । स्टडी में कहा गया है कि अक्टुबर २०१६ में चीन और बांग्लादेश को बीच हुआ अग्रीमेंट बांग्लादेश के जीडीपी के लगभग २० पर्संेट के बराबर है । स्टडी के मुताबिक, इनमें से कुछ देशो के एक्सटर्नल अकाउंट इंडिकेटर्स कमजोर है । कजाकिस्तान का करंट अकाउंट डेफिसिट २०१६ में उसके जीडीपी का लगभग ६ पर्सेंट था, जबकि उसका एक्सटर्नल डेट जीडीपी के ८० पर्सेट से उपर है । पाकिस्तान में फोरन एक्सचेंज रिजर्व की स्थिति खराब है और उसके पास २०१७ की शुरुआत में केवल चार महीने के इम्पोर्ट के लिए ही फोरन करेंसी रिजर्व था । स्टडी में चीन की और से इन देशो को दिए जा रहे कर्ज के बारे में कहा गया है, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए आसानी से विदेश से कम ब्याज दर पर लोन मिलने से इन देशो का ट्रेड बैलेंस बिगड सकता है और मैक्रो इकनोमिक स्थिति खराब हो सकती है । चीन की फंडिंगवाले प्रोजेक्ट्स के कारण श्रीलंका कर्ज के भारी बोझ का सामना कर रहा है । श्रीलंका का कुल कर्ज ६० अरब डोलर से अधिक का है और उसे इसमें से १० पर्सेंट से अधिक चीन को चुकाना है । श्रीलंका सरकार ने कर्ज के संकट से निपटने के लिए अपने डेट को इक्विटी में तब्दील करने पर सहमति दी है ।