जिस तरह से कश्मीर में पिछले कुछ दिनो से हालात बने हुए है उस पर रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने उमर अब्दुल्ला को उनकी ही भाषा में करारा जवाब देते हुए कहा कि जब आप युद्ध जैसी स्थिति में होते हो तो उनको क्या करना चाहिये ये सांसदो से पुछने की जरुरत नही है । कश्मीर में पथराव करने वालो के खिलाफ कथित रुप से मानव ढाल के तौर पर एक व्यक्ति को जीप के आगे बांधने वाले मेजर को लेकर उठे विवाद के बीच रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सेना के अधिकारी युद्ध जैसे क्षेत्र में निर्णय करने के लिए स्वतंत्र है । जेटली ने मेजर लीतुल गोगोई के कदम का विशेष जिक्र करते हुए कहा कि सैन्य का समाधान सैन्य अधिकारी ही मुहैया कराते है । युद्ध जैसे क्षेत्रे में जब आप हो तो स्थितियो से कैसे निबटा जाए, हमें अपने सैन्य अधिकारीयो को निर्णय लेने की अनुमति देनी चाहिए । मतलब साफ है कि घाटी में हालात सामान्य करने के लिये मिलिट्री को कडे कदम उठाने की मंजुरी भी दे सकती है । सुत्रो के मुताबिक केंद्र सरकार और जम्मु कश्मीर की राज्य सरकार मिलकर अलगाववादियो और पत्थरबाजो से सख्ती से निपटने के लिये एक्शन प्लान भी तैयार कर रही है ।