पीजी मेडिकल में डिग्री कोर्स में इन सर्विस डोक्टरों को २५ प्रतिशत सीटें नहीं आवंटित कराने के राज्य सरकार ने निर्णय पर गुजरात हाईकोर्ट के आदेश से नाराज इन सर्विस डोक्टरो (जीएमएस क्लास-२ मेडिकल ओफिसर्स एसोसिएशन) ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी हैं । जिसकी सुनवाई में आज सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस दिपक मिश्रा और जस्टिस एएम आन्वीकर की पीठ ने इन सर्विस डोक्टरों के लिए डिप्लोमा कोर्स में एमसीआई रुल्स अनुसार ५० प्रतिशत सीटे आवंटित कराने महत्वपूर्ण आदेश जारी किया हैं । जबकि इन सर्विस डोक्टरों को डिग्री कोर्स में ३० प्रतिशत इन्सेन्टीव मार्क के मुद्दे पर सुप्रीमकोर्ट ने अगस्त महीने में सुनवाई की थी । सुप्रीमकोर्ट के आदेश के कारण अब पीजी मेडिकल के सेकन्ड काउन्सलींग में उस अनुसार कार्रवाई की जाएगी । सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि मेडिकल काउन्सिल ओफ इन्डिया पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेग्युलेशन्स- २००० के संबंधित नियम अनुसार राज्य सरकार ने इन सर्विस डोक्टर के लिए पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल में डिप्लोमा कोर्स में ५० प्रतिशत सीटे आरक्षित रखने प्रावधान हैं । उस अनुसार काउन्सींल की प्रक्रिया करनी होगी । जिन मेडिकल ओफिसरों से राज्य के ग्रामीण और पछात इलाकों में तीन साल तक सेवा दी हैं । ऐसे इन सर्विस डोक्टर के लिए पीजी मेडिकल में डिप्लोमा में ५० प्रतिशत सीटे आरक्षित हैं । उसे ध्यान मे रखकर ही काउन्सेंलिंग प्रक्रिया सरकार को करनी पड़ेगी । उल्लेखनीय है कि राज्य ग्रामीण इलाकों में तीन साल तक सेवा देते इन सर्विस डोक्टरों के लिए राज्य सरकार द्वारा हर साल पीजी मेडिकल में डिग्री और डिप्लोमा में २५ प्रतिशत सीटे उपलब्ध कराई जाती थी लेकिन इस साल पीजी मेडिकल में डिग्री कोर्स में सीटे आवंटित नहीं रखी गई ।