चीन के महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट के तहत बन रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से भले ही पाकिस्तान को बडी उम्मीदें हैं, लेकिन इसके उलट यह परियोजना उसके आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा भी साबित हो सकती है । इस परियोजना के १५ साल के मास्टर प्लान पर नजर डालें तो पता लगता है कि इसके चलते पाकिस्तान को चीन के वशीभूत रहना होगा, इसकी वजह इस प्रॉजेक्ट के करार में शामिल की गई शर्तें हैं । इस मास्टर प्लान की कॉपी को एक अखबार ने भी देखा है । इस प्रॉजेक्ट के जरिए चीन पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के तमाम अहम सेक्टरों और सोसाइटी में अपनी संस्कृति और कंपनियों के माध्यम से पैठ बनाने की तैयारी में हैं । यह प्लान विस्तार से बताता है कि आने वाले १५ सालों में पाकिस्तान में चीन और उसकी कंपनियों की क्या प्राथमिकताएं हैं । आपको बता दें कि इस परियोजना में चीन ने ६२ अरब डॉलर का निवेश करने का ऐलान किया है । इस प्लान के तहत हजारों एकड कृषि भूमि चीन की कंपनियों को लीज पर दी जाएगी । ये कंपनियां सिंचाई तकनीक से लेकर बीजों की विभिन्न किस्मों तक पर काम करेंगी । कानून और व्यवस्था पर नजर रखने के लिए पेशावर से करांची तक शहरों में २४ घंटे विडियों रिकार्डिंग होगी । चीन की और से मोनिटरिंग और सर्विलांस का पूरा सिस्टम विकसित किया जाएगा । इसके अलावा मास्टर प्लान के तहत पाकिस्तान में नैशनल फाईबर-ऑप्टिक बैकबोन तैयार की जाएगी । यह सिर्फ इन्टरनेट ट्रैफिक के लिए ही नहीं होगी बल्कि टीवी ब्रॉडकास्ट में भी इसका इस्तेमाल किया जाएगा । इस तरह से चीनी मीडिया पाकिस्तान में अपने कार्यक्रमों के जरिए एन्ट्री करेगा । जाहिर है कि इससे परंपरागत समाज कहे जाने वाले पाकिस्तान पर भी चीनी संस्कृति का प्रभाव पडेगा ।
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