पाकिस्तान को झटका देते हुए, फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने आतंक की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ यानी संदिग्धों की सूची में डाल दिया है ।
FATF को पाकिस्तान ने २६ सूत्री ऐक्शन प्लान सौंपा था ताकि वह इस कार्रवाई से बच सके । हालांकि, पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैक लिस्ट होने से बच गया है जो उसके लिए थोड़ी राहत की बात है । पाकिस्तान ने पूरा कूटनीतिक प्रयास किया था कि ३७ सदस्य देशों वाले इस निकाय का फैसला उसके खिलाफ न जाए पर वह इसमें नाकाम रहा ।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला बुधवार देर रात पैरिस में स्नन्ञ्जस्न के प्लेनरी सेशन में लिया गया, जहां पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व उसके वित्तमंत्री शमशाद अख्तर कर रहे थे । FATF पैरिस स्थित अंतर -सरकारी संस्था है ।
इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है । इसका गठन १९८९ में किया गया था । स्नन्ञ्जस्न की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है । पाकिस्तान की ओर से १५ महीनों का एक ऐक्शन प्लान रखा गया और बताया गया कि उसके यहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों का धन का रास्ता बंद करने के क्या उपाय किए गए हैं । एफएटीए ने इसके एक दिन बाद अपने निर्णय की घोषणा की । हालांकि, ग्रे लिस्ट में जाने से भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है । इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश पर भी विपरित असर पड़ता है । पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यह राजनीति से प्रेरित फैसला है और इसका आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई से कोई लेनादेना नहीं है । FATF के मुताबिक पाकिस्तान अब एक साल या उससे ज्यादा समय के लिए इस लिस्ट में रहेगा । हालांकि, उसे समय से पहले इस सूची से हटाया जा सकता है ।
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