ट्रनो की लेटलतीफी से यात्रियो की नाराजगीृ को देखते हुए अब रेलवे ने मालगाडियो के बजाय यात्री ट्रेनो को तरजीह देने का फैसला किया है । हालांकि इससे रेलवे को साल भर मेंृ लगभग २० मिलियन टन माल ढुलाई का नुकसान होगा । ट्रेनो को लेटलतीफी से बचाने के लिए रेलवे बोर्ड के हर सदस्य को दो जोनल रेलवे की जिम्मेदारी दी गई है । यही नही, अब रेलवे इस बात पर भी विचार कर रहा हैृ कि अगर सफाई और ट्रेनो की लेटलतीफी होती है तो ऐसे मामलो में छोटे अफसरो के बजाय सीधे डिविजनल रेलवे मैनेजरो की जवाबदेही तय की जाए । रेलवे के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक ट्रेनो की लेटलतीफी कीृ बढती घटनाओ सेृ चौतरफाृृ आलोचनाओं से घिरे रेलवे ने अब बडा कदम उठाने का फैसला किया है । रेलवे बोर्डृ के चेयरमैन खुद ही अब रोजाना ट्रेनो की पंक्चुअलिटी को लेकर बैठक कर रहे है, ताकिृ अधिकारीयो का इस पर फोकस बढाया जा सके । यही वजह है कि हाल के दिनो में ट्रेनो की पंक्चुअलिटी में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन रेलवे का टारगेट है कि कम से कम ९५ फिसदी ट्रेने सही टाइम पर चलें । इसी मकसद से रेलवे बोर्ड ने अपने सभी सदस्यो के अलावा डायरेक्टर जनरल स्तर के तीन अफसरो को भी जिम्मेदारी दी है । रेलवे बोर्ड के सदस्यो और तीन डायरेक्टर जनरल को मिलाकर आठ आला अफसरो को दो दो जोन दिए गए है । अब इन अफसरो से रोजाना रिपोर्ट ली जा रही है कि उनके जोन में कितनी ट्रेने लेट हुई और इसकी वजह क्या थी यही नही, अगले दिन पंक्चुअलिटीृ की राह में आने वाली अडचनो को भी दुर करने पर कदम उठाए जा रहे है । सुत्रो के मुताबिक, बीते कुछ साल से रेलवे में यह धारणा बनी है कि चुंकि मागलाडियो से ही रेलवे को फायदा होता है इसलिए उन्हें पहले चलाया जाए । लेकिन अब उलटा किया जा रहा है । अब यात्री गाडियो को तरजीह देने का फैसला लिया गया है । अधिकारीयो का कहना है कि हालांकि इससे रेलवे को साल में २० मिलियन टन की माल ढुलाई का नुकसान होगा, लेकिन इस वक्त पंक्चुअलिटी को लेकर काफी दबाव है । इसलिए अब इस पर फोकस किया जा रहा है । रेलवे इस बात पर भी विचार कर रहा है । कि जो डिवीजन इन दोनो मामलो में फिसड्डी साबित होते है तो वहां निचले स्तर पर अफसरो के बजाय सीधे डिविजनल रेलवे मैनेजर स्तर के अफसरो पर ऐक्शन लिया जाए और कम से कम उनका ट्रांसफर तो कर ही दिया जाए ।