भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह लखनऊ पहुंचो तो उन्होंने सबसे पहले यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और पार्टी का राज्य इकाई को यह संदेश दिया कि पार्टी यूपी में किसी भी तरह से बंटी या बिखऱी नहीं दिखनी चाहिए । उन्होंने राज्य के नेताओं से अपने मतभेद साफ करने के लिए कहा, ताकि ऐसी कोई छवि न बने की बीजेपी के घर में ही फूट है या उसके स्थानीय सहयोगियों से बनती नहीं । साथ ही अमित शाह ने २०१९ के लोकसभा चुनाव के लिए यूपी से ५० प्रतिशत से ऊपर वोट लाने का लक्ष्य भी दे डाला । शाह की बातों का असर माना जा रहा है कि आदित्यनाथ अब हर १५ दिन में अपना दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ सलाह किया करेंगे । इसके अलावा, पार्टी अधिकारियों से इन दोनों पार्टियों के प्रतिनिधियों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए समाधान करने के लिए कहा गया है । शाह ने सवाल किया कि ऐसी खबरे क्यों आती है कि बीजेपी की सहयोगी पार्टिया उससे नाराज है या पांच सांसदो को पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ बोलना पड़ा है । खासकर ऐसे वक्त में जब बड़ी विरोधी पार्टिया-समाजादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी धीरे धीरे मजबूती से एक साथ खड़े होने की ओर बढ़ रही है । शाह अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल और एसबीएसपी नेता ओमप्रकाश राजभर से भी अलग अलग मिले और उनके मुद्दों पर बात की । राजभर ने नौकरी में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए २७ प्रतिशत की मांग की । हाल में तेज हुए दलित आंदोलन को ध्यान में रखते हुए शाह ने पार्टी इकाई और सहयोगियों से एसपी-बीएसपी गठबंधन को मात देकर २०१८ के चुनावो में नैशनल डेमोक्रैटिक अलायंस को जीत दिलाने के लिए कमर कसने की बात कही । गौरतलब है कि सहयोगी पार्टियों को बड़ा समर्थन अन्य पिछड़ा वर्ग से आता है ।