बसपा से निकाले गए नसीमद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि उन पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें पार्टी से बाहर किया गया है । उन्होंने साथ ही दावा किया कि मायावती ने चुनाव में हार मिलने के बाद मुसलमानों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और उन्हें गद्दार करार दिया । सिद्दीकी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, चुनाव के बाद मायावती ने मुझे दिल्ली बुलाया । मेरे साथ बेटा अफजल भी था । उन्होंने पहला सवाल किया कि मुसलमानों ने बसपा को वोट क्यों नहीं दिया । मैंने कहा कि बहनजी ऐसा नहीं है । मुसलमानों ने बसपा को वोट दिया । असलियत यह है कि जब तक कांग्रेस और सपा का गठबंधन नहीं हुआ था, तब तक मुसलमान हमारे साथ ज्यादा संख्या में थे । जैसे ही गठबंधन हो गया मुसलमान कन्फ्यूज होकर बंट गए । हमें भी उनका वोट मिला, लेकिन पहले जितनी संख्या में थे, उतना नहीं मिला । इस पर मायावती ने कहा कि मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं । बसपा के पूर्व नेता ने कहा, मायावती मुसलमानों को उल्टा-सीधा बोलने लगीं और कहा कि मुसलमान गद्दार है । मायावती ने कहा कि दाढी वाले कुत्ते मेरे पास आया करते थे । सिद्दीकी ने आगे कहा, जब मैंने विरोध जताया तो उन्होंने आवाज नीची कर ली और कहा कि पिछडी और अगडी जाति के लोगों ने भी हमें वोट नहीं दिया । जब मैंने कहा कि किसी ने हमें वोट नहीं दिया तो इस पर हम क्या सकते हैं । इसके बाद वह पिछडी जाति के लोगों को भी भला-बुरा कहने लगी । सिद्दीकी ने मायावती पर बीएसपी संस्थापक कांशीराम को भी अपमानित करने का आरोप लगाया । सिद्दीकी ने कहा मायावती ने १९ अप्रैल के अपने भाषण में कहा कि जब २००२ में यूपी और पंजाब में विधानसभा चुनाव साथ हुए तो कांशीराम यूपी का सारा पैसा पंजाब लेकर चले गए और मुझसे कहा कि मैं पंजाब में सरकार बनाकर लौटूंगा ।