वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने के लिए विदेशी कंपनियो को इंसेटिव्स दिए जाने की जरुरत है । उन्होंने कहा कि नितीयो को हकीकत के मुताबिक होना चाहिए ।
जेटली ने कहा कि विदेशी कंपनिया भारत में तभी मैन्युफैक्चरिंग युनिट्स लगाएंगी, जब उन्हें लगेगा कि उन्हें इससे कारोबार हासिल होगा । जेटली ने कहा कि जहां तक निवेश का सवाल है तो भारत सरकार ने नियमो को नरम कर दिया है । उन्होने कहा कि सरकारी और नीजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियो ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग युनिट्स लगाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियो के साथ तालमेल करना शुरु कर दिया है और ऐसा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमाओं के बाहर भी किया जा रहा है । जेटली ने एक इंटव्यु में कहा, डिफेंस के मामले में सरकार तो केवल खऱीदारी के छोर पर है, लिहाजा लोग तो तभी इकाइयां लगाएंगे, जब उन्हें भारत में कारोबार मिलने की संभावना होगी । इसलिए हमारी नीतियों की हकीकत के मुताबिक बदलना होगा ।
जेटली ने कहा, हमारी नीतियों को इस तरह बदलना होगा कि हम लोगोें को ऐसे इंसेंटिव्स दे सकें, जो भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस बनाने के लिहाज से उपयोगी हों । इस बारे में चर्चा चल रही है । जेटली का यह बयान इस लिहाज से भी अहम है कि रक्षा मंत्रालय शस्त्र प्रणालियों के उत्पादन के मामले में प्राइवेट सेक्टर को स्ट्रैटेजिक पार्टनर बनाने के बारे में फैसला करने वाला है । जापान के रक्षा मंत्री से सोमवार को मुलाकात करने वाले जेटली ने कहा कि जापान बिजनस टु बिजनस को ओपरेशन पर ध्यान दे रहा है और वह भारत में मैन्युफैक्चरिंग करना चाहता है ।
बैड लोन के बारे में जेटली ने कहा कि सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंको के कंसोलिडेशन पर गौर करेगी और नोन परफोमिंग लोन घटने के बाद उनके अपना स्टेक घटाकर ५२ प्रतिशत कर लेगी ।