इस बार बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इनकम टैक्स स्लैब्स तो नहीं बदले, लेकिन कई अन्य बदलाव जरूर किए । शेयरों और शेयर आधारित म्यूचूअल फंड्स से कमाई पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गैंस टैक्स लगाने से लेकर वरिष्ठ नागरिकों को विभिन्न मदों में राहत देने तक, जेटली ने कई अहम घोषणाएं कीं । बजट २०१८ के ज्यादातर प्रस्ताव १ अप्रैल से लागू हो जाएंगे । बजट २०१८ में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वेतनभोगियों और पेंशनभोगियों को ४० हजार रुपये स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ दिया गया है । हालांकि, १९,२०० रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस और १५,००० रुपये के मेडिकल रीइंबर्समेंट की सुविधा वापस ले ली गई है । वित्त मंत्री ने इंडिविजुएल टैक्सपेयर्स के इनकम टैक् पर सेस बढ़ाकर ४ फीसदी कर दिया । यानी, अब किसी व्यक्ति पर जितना टैक्स बनेगा, उसका ४ फीसदी उसे स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर (हेल्थ ऐंड एजुकेशन सेस ) के रुप में देना होगा, जो पहले ३ फीसदी था । गौरतलब है कि सेस की कुल राशि केंद्र सरकार के पास ही रहती है, जबकि टैक्स से जुटाई गई रकम में राज्यों की भी हिस्सेदारी होती है । १ अप्रैल २०१८ से कम-से-कम १ साल की होल्डिंग वाले शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से हुई । १ लाख रुपये से ज्यादा की कमाई पर १० फीसदी का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लागू हो जाएगा । हालांकि, इन्हें ३१ जनवरी २०१८ तक हबुए मुनाफे टैक्स मुफ्त रहेंगे । यानी, १ फरवरी के बाद से शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड में आई बढ़त में से १ लाख रुपये घटाकर ही टैक्स देने होंगे । कुछ साल तक इंश्योरेंस की रकम देते रहने पर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कुछ डिस्काउंट देती है । पहले बीमा लेनेवाले २५,००० रुपये तक की रकम पर ही टैक्स डिडिक्शन क्लेम कर सकते थे ।
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