बैडमिंटन में भारत के प्रदर्शन को अगले ओलिंपिक में और बेहतर करने के उद्देश्य से सरकार ने ८ सदस्यीय कमिटी का गठन किया है । इस कमिटी के सदस्य पुलेला गोपीचंद भी है । रियो ओलिंपिक में बैडमिटन में सिल्वर मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु के कोच गोपीचंद इसे एक बहुत मुश्किल काम मानते है ।
बता दें कि स्पोर्टस अवोर्डस में सिंधु को स्पोर्टस पर्सन ओऔफ द इयर और गोपीचंद को कोच ओफ द इयर का अेवोर्ड मिला था । हमारी सहयोगी से बात करते हुए गोपीचंद ने खेल और जीवन की चुनौतियो के बारे में चर्चा की । गोपीचंद बताते है कि वह स्कुल के दिनो में बैडमिंटन शौकिया खेलते थे । जब उन्होंने जुनियर स्तर पर नैशनल लेवल चैंपियनशिप जीती उसके बाद ही खेलो को लेकर उनकी गंभीरता बढी । लगातार चोट की वजह से उनका करियर प्रभावित हुआ । गोपीचंप कहते है कि जब मैने कोच बनने की ठानी तब मेरे लिए मुश्किलें कही ज्यादा थी । कोचिंग के लिए फंड और जमीन जुटाना आसान काम नहीं था । कोचिंग और अकैडमी चलाने के लिए अपनी परेशानी शेयर करते हुए कोच गोपीचंद कहते है कि अच्छा कोच होना महत्वपूर्ण है चाहे आपके पास कम साधन ही क्यो न हो । गोपीचंद कहते है, अगर कोच ही अच्छा नही है तो भले ही आप कितने भी साधन उपलब्ध करवा दें वह बेहतर परिणाम नहीं दे सकता । एक अच्छा कोच कम ससाधनो में भी बेहतर रिजल्ट दे सकता है । गोपीपंच अपने संघर्ष के दिनो का जिक्र करते हुए कहते है, एक वक्त ऐसा भी था जब अकैडमी चलाने के लिए मेरे पास पर्याप्त पैसे नहीं थे । उस वक्त मैने अपना घर बेचने का फैसला किया । मैं अपने परिवार का शुक्रगुजार हूं जो मुश्किल वक्त में लगातार मेरे साथ खडे रहे ।