पुणे के भीमा-कोरेगांव से शुरु हुई हिंसा की आग महाराष्ट्र के कई हिस्सों तक पहुंच चुकी है । यहां तक कि राजधानी मुंबई भी इससे अछूती नहीं रह सकी । मुंबई की रफ्तार थामने के पीछे जिन दो लोगों का नाम सामने आ रहा है, आपको उनके बारे में बताते है । २९ दिसम्बर को पुणे के पास एक दलित महापुरुष की समाधि के कथित अपमान से शुरु हुई हिंसा के केंद्र में दो शख्स है । इस हिंसा ने देखते मुंबई को भी अपनी चपेट में ले लिया । मंगलवार से लेकर अब तक शहर में जनजीवन ठप पड़़ा है । मुंबई में बुधवार को बंद का बड़ा असर देखा जा रहा है । दो लोगों को इस राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन का मास्टरमाइंड माना जा रहा है । संभाजी भिड़े (८५ वर्ष ) जिन्हें भिंडे गुरुजी के नाम से जाता जाता है और मिलिंद इकबोते (५६ वर्ष ) के लिए यह पहला मौका नहीं है । २००८ में भिड़े का नाम देशभर में चर्चित हुआ था, जब उनके समर्थकों ने फिल्म जोधा-अकबर की रिलीज के खिलाफ थिअटरों में तोड़फोड़ की थी । यही नहीं २००९ में भी उन्होंने अपने गृह शहर सांगली को उस वक्त ठप कर दिया था, जब आदिल शाह के सेनापति अफजल खान को मारते हुए शिवाजी की तस्वीर को गणेश पंडाल में लगाने से आयोजकों ने मना कर दिया था ।
इकबोते के खिलाफ दंगा भड़काने अवैध कब्जा करने, धमकाने और दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने के १२ मामले दर्ज है । इनमें से ५ मामलों में मिलिंद को दोषी करार दिया जा चुका है । पुणे में बतौर बीजेपी पार्षद अपने पहले कार्यकाल १९९७-२००२ के दौरान हज हाउस के निर्माण को लेकर उनकी पार्षद से भिड़त हो गई थी ।
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