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सुपरकंप्यूटर : भारतीय के कमाल पर अमेरिका दंग

एक समय था । जब अमेरिका और पश्चिमी देशों ने भारत को अपना सुपरकंप्युटर बेचने से इनकार कर दिया था । उस समय भारत के एक वैज्ञानिक डॉ.विजय पी.भटकर ने किसी की मदद लिए बगैर बड़ा कमाल कर दिखाया । उन्होंने और उनकी टीम ने १९९१ में भारत के लिए सुपरकंप्युटर परम-८००० बनाकर सबको चौका दिया । उनके इतने योगदान के बावजूद देश उनके बारे में बहुत कम जानता है । उनका जन्म ११ अक्टूबर, १९४६ को मुरम्बा, अकोला, जिला, महाराष्ट्र में हुआ । उन्होंने १९७२ में इंडियन इंस्टिट्युट ऑफ टेक्नोलजी, दिल्ली से इंजिनियरिंग में पीएचडी की डिग्री ली । उन्होंने १९६५ में विश्चेसवरैया नैशनल इंस्टिट्युट ऑफ टेक्नोलजी से बैचलर ऑफ इंजिनियरिंग और १९६८ में महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा से मास्टर ऑफ इंजिनियरिंग की । उन्होंने कई अहम राष्ट्रीय संस्थानो और अनुसंधान केंद्रो की स्थापना करने में अहम भूमिका निभाई । उन्होंने सेंटर फॉर डिवलपमेंट ओफ अडवांस्ड कंप्यूटिंग, तिरुअनंतपुरम में दी इलेक्ट्रोनिक्स रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट सेंटर, इंस्टिट्युट ओफ इन्फर्मेशन टकेनॉलजी ऐंड मैनेजमेंट, केरल, ईटीएच रिसर्च लैबरेट्री ऐंड इंटरनैशनल इंस्टिट्युट ओफ इन्फेर्मेशन टेक्नोलजी, पूणे, महाराष्ट्र नोलेज कॉर्पोरेशन और इंडिया इंटरनैशनल मल्टिवर्सिटी की स्थापना में उनका बड़ा योगदान है । वह भारत सरकार, सीएसआईआर गवर्निंग बॉडी, आईटी टास्ट फॉर्स की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य और महाराष्ट्र एवं गोवा सरकारो की ई-गवर्नेस कमिटी के चेयरमेन रहे है । उन्होंने विज्ञान भारती के अध्यक्ष के तौर पर भी अपनी सेवा प्रदान की है । जनवरी २०१७ में उन्हें नालंदा यूनिवर्सिटी का चांसलर नियुक्त किया गया ।

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