मोदी कैबिनेट ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) बिल, २०१७ को मंजूरी दे दी है । इसके जरिए जुबानी, लिखित या किसी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से एक साथ तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी बनाया जाएगा । संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद यह कानून बन जाएगा । शुक्रवार को राज्यसभा में विपक्ष के जोरदार हंगामे के बाद हुई मोदी कैबिनेट की बैठक में इस बिल को हरी झंडी दी गी । माना जा रहा है कि सरकार सिे संसद के चालू शीतकालीन सत्र में पारित करवाने की कोशिश करेगी । सिके पहले केंद्र के ड्राफ्ट बिल का आठ राज्यों ने समर्थन किया था । कानून मंत्रालय ने लगभग एक पखवाडे पहले तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने और इसे एक दंडनीय और गैर-जमानती अपराध बनाने से जुडे प्रस्तावित कानून पर सभी राज्य सरकारी से राय मांगी थी । उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, झारखंड, असम, मणिपुर और छह अन्य राज्यों में ड्राफ्ट बिल पर सरकार का समर्थन किया है । जबकि अन्य राज्यों के जवाब का इंतजार किया जा रहा है । सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल २२ अगस्त को दिए अपने फैसले में सदियों से चली आ रही इस इस्लामिक प्रथा को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया था, लेकिन इसके बावजूद कई जगहों से तीन तलाक दिए जाने की रिपोट्र्स आ रही है । तीन तलाक की शिकायतें मिलने के मद्देनजर केंद्र ने इसका समाधान निकलने का उपाय सुझाने के लिए एक कमैटी बनाई थी । कमैटी में होम मिनिस्टर राजनाथसिंह, फाईनैंस मिनिस्टर अरुण जेटली, लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद, माइनोरिटी अफेयर्स मिनिस्टर मुख्तार अब्बास नकवी और दो राज्यमंत्री शामिल रहे । प्रस्तावित बिल में अपनी पत्नियों को एक साथ तीन तलाक बोलकर तलाक देने की कोशिश करने वाले मुस्लिम पुरुषों को तीन वर्ष की कैद की सजा देने और पीडित महिलाओं को कोर्ट से गुहार लगाकर उचित मुआवजा और अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांगने की अनुमति देने का प्रस्ताव हैं । अधिकारिक डेटा के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के अगस्त के फैसले के बाद देशभऱ से तीन तलाकदेने के ६७ मामलों की रिपोट्र्स मिली हैं । इनमें से अधिकतर मामले उत्तर प्रदेश के हैं । हालांकि यह कानून बबने के बाद भी जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होगा ।
પાછલી પોસ્ટ