तमाम अटकलों और विपक्ष की मांग के बीच सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र की घोषणा कर दी है । शीतकालीन सत्र का आगाज १५ दिसम्बर को और समापन ५ जनवरी को होगा । संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि यह सत्र २१ दिनों का होगा, जिसमें १४ कामकाजी दिन होंगे । उन्होंने सत्र के शुरु होने में देरी के सवाल पर कहा कि विधानसभा चुनावों की वजह से शीतकालीन सत्र देरी से शुरू हो रहा है । इसके साथ ही जोड़ा कि सत्र में देरी पहली बार नहीं हो रही है, इससे पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है । अनंत कुमार ने कहा कि इस सत्र में कई अहम प्रस्ताव पास कराने हैं । इसके लिए सत्र के सुचारूं संचालन के लिए विपक्ष से सहयोग मांगा और कहा कि विपक्ष से शांति की अपील करते है । इस बीच कांग्रेस ने गुरुवार को सरकार पर बिना कोई स्पष्टीकरण दिये संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने में विलंब करने का आरोप लगाया और राष्ट्रपति कोविंद से सदन यशाशीध्र बुलाने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया । कांग्रेस संसदीय दल ने २१ नवम्बर को राष्ट्रपति को लिखे पत्र में दावा किया कि समय पर संसद सत्र आहुत नहीं करने से अस्वस्थ परंपरा बनेगी । पार्टी ने राजग सरकार पर बिना कोई स्पष्टीकरण दिये सत्र में विलंब करने का आरोप लगाया । इसमें दावा किया गया कि प्रतीत होता है कि विलंब का कारण गुजरात विधानसभा चुनाव है जो सरकार ने अनौपचारिक रूप से बताया है । कांग्रेस ने दलील दी कि सत्र को स्थापित परंपराओं के अनुसार बुलाया जाता है न कि चुनाव कार्यक्रम के अनुरुप । इस पत्र में कांग्रेस नेताओं ने कहा, हम आपका ध्यान सरकार द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र को आहूत करने में सरकार द्वारा की जा रही असमान्य देरी की और आकृष्ट करना चाहते है जिसके बारे में अभी तक कोई सफाई नहीं दी गई है । इन नेताओं ने कहा कि २०१२ गुजरात विधानसभा चुनाव १३ एवं १७ दिसम्बर को हुआ था । बहरहाल, संसदीय सत्र को परंपराओं के अनुरूप २२ नवम्बर को आहूत किया इसे २० दिसम्बर को स्थगित किया गया । उन्होंने कहा, यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि मानसत्र और शीतकालीन सत्र के बीच जो अंतराल होता है वह अन्य सत्रों की बीच के अंतराल की तुलना में सबसे लंबा होता है । लिहाजा समय पर सत्र नहीं बुलाने से अस्वस्थ पंरपरा बनेगी । कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि सरकार सदन में सवालों का सामना करने से कतरा रही है ।
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