पिछले वित्त वर्ष के दौरान ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री २४ टका बढकर ५०००० करोड़ रुपये के आसपास हुइ
नई दिल्ली, १ मई ।
आम तौर पर ग्रामीण उद्योगों और खादी इकाइयों को बहुत बडा नहीं माना जाता, लेकिन पिछले साल इन दोनों ने तो कमाल ही कर दिया । ग्रामीण उत्पादों और खादी की बिक्री पहली बार ५०००० करोड रुपये के पार पहुंच गई । खादी की बिक्री बढने पर सरकार भी खासा जोर दे रही है, लेकिन हैरत की बात यह है कि ग्रामीण उद्योगों में तैयार शहद, साबुन, श्रृंगार के सामान, फर्नीचर और जैविक खाद्य सामग्रियों की मांग में भारी तेजी देखने को मिली है । खास बात यह है कि कई ग्रामीण उद्योगों का संचालन महिलाएं कर रही हैं । खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के जुटाए आंकडे बताते है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री २४ प्रतिशत बढकर ५०००० करोड रुपये के आसपास पहुंच गई । इसी तरह खादी उत्पादों की बिक्री भी ३३ प्रतिशत बढकर २००५ करोड रुपये तक पहुंच गई जो वित्त वर्ष २०१५-१६ में १६३५ करोड रुपये थी । टर्न ओवर के मामले में तो खादी एवं ग्रामोद्योग ने तो रोजमर्रा के सामान बनानेवाली देश की कई कंपनियों को पीछे छोड दिया । अकेले खादी की बिक्री भी बॉम्बे डाइंग और रेमंड जैसे मशहूर ब्रैंड से मुकाबला कर रही है । हालांकि इन कंपनियों ने वित्त वर्ष २०१६-१७ के अपने आंकडों का खुलासा नहीं किया है । अब आयोग का लक्ष्य खादी की बिक्री वित्त वर्ष २०१८-१९ तक दोगुनी कर ५००० करोड रुपये करने की है । खादी और ग्रामीण उत्पादों को बढावा देने के लिए सरकार ने तो अपनी भूमिका अदा की है, ग्राहकों ने भी इस और दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है । यहां तक कि विदेशी ग्राहकों की संख्या भी बढ रही है । ब्रैंड एक्सपर्ट हरीश बिजूर कहते हैं, पहले खादी को राजनीति से जुडे लोग ही तवज्जो देते थे, वह चाहे कुर्ता हो या टोपी । चूंकि अब आम ग्राहक भी प्राकृतिक उत्पाद पसंद करने लगे हैं, इसलिए आयोग की बल्ले बल्ले हो रही है ।