प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची ने बुधवार को यह फैसला लिया कि दोनों देश द्विपक्षीय सुरक्षा को बढ़ाएगे और आतंकवाद के खात्मे के लिए मिलकर लड़ेंगे । इसके बाद गुरुवार को बाली के नुसा डुआ में म्यांमार के खिलाफ पारित हुए एक प्रस्ताव से भी भारत ने दूरी बनाकर यही संदेश दिया हैं कि दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ हो रहे हैं । असल में दोनों देशों की बढ़ रही दोस्ती के पीछे रखाइन राज्य में जारी रोहिग्या संकट के बीच पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी की गुपचुप की जा रही कार्रवाई हैं, जिसने नई दिल्ली की चिंताएं बढ़ा दी हैं । पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई रखाइन राज्य में जहां एक तरफ रोहिग्या चरमपंथियों का साथ दे रही हैं वही दूसरी तरह वह रोहिग्याओं के खिलाफ यंगून की लड़ाई में भी भूमिका निभा रही हैं । भारत और बांग्लादेश ने हाल ही में अपने संयुक्त आतंक विरोधी सहयोग के जरिए यह पता लगाया था कि आईएसआई ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की म्यांमार यात्रा के पहले कथित तौर पर रखाइन राज्य में आतंकवादी हमला करवाया था । अब भारत बांग्लादेश म्यांमार मिलकर इस क्षेत्र में आंतकवाद के खात्मे के लिए काम कर सकते हैं । मिली जानकारी के अनुसार भारत और बांग्लादेश ने हाल ही में यह पता लगाया था कि अराकान रोहिग्या रक्षा सेना के चीफ हाफिज तोहार लगातार पाकिस्तान के आईएसआई के संपर्क में था और पाकिस्तानी खुफिया एजेसी ने हाल ही में म्यामांर में हुए आतंकी हमले में भूमिका निभाई हैं । जिसमे सेना के कई जवान मारे गए ।