बहुजन समाज पार्टी बसपा अध्यक्ष मायावती ने आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए आज कहा कि यह बयान वास्तव में भाजपा की कथनी और करनी में व्यापक अन्तर के स्वभाव को साबित करता हैं ।मायावती ने यहां एक बयान में प्रधानमंत्री द्वारा कल रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम में आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं करने की टिप्पणी पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए जानना चाहा कि साल १९९२ में बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की पुण्यतिथि के अवसर पर छह दिसम्बर को अयोध्या मं अदालत, कानून तथा संविधान का उल्लंघन करते हुये सरकारी संरक्षण में हुई हिंसा तथा विध्वंस को क्या कहा जायेगा और क्या भाजपा नेतृत्व उसके लिये देश से माफी मांगेगा । उन्होंने कहा कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को साध्वियों के साथ बलात्कार के मामले में सीबीआई अदालत द्वार दोषी करार दिये जाने के बाद सरकारी संलिप्तता और संरक्षण के कारण हरियाणा को भी गुजरत दंगोंतरह हिंसा की आग में जलाया जाना और उस पर प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी वास्तव में भाजपा की कथनी और करनी में व्यापक अन्तर के स्वभाव को साबित करती हैं । बसपा प्रमुख ने कहा कि अगर मोदी की बात में थोड़ी भी सच्चाई और ईमानदारी होती तो पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सख्त कानूनी तथा संवैधानिक रुख को देखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को अबा तक बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए था । मगर ऐसा नहीं किया गया । मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में लोगों को याद दिलाया कि वह १५ अगस्त को लाल किले से अपने सम्बोधन में भी कह चुके हैं कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में आस्था के नामपर हिंसा की कोई जगह नहीं हैं । लेकिन हरियाणा की ताजा घटना साबित करती है उनकी पार्टी की सरकार पहली ही परीक्षा में बुरी तरह से नाकाम साबित हुई हैं ।