टेरर फंडिग के शक में राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निशाने पर आए कश्मीरी अलगाववादी नेताओं की करोड़ों की संपत्ति के बारे में खुलासा हुआ हैं । जांच एजेंसी एनआईए कश्मीरी अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस (गिलानी) के शीर्ष सात नेताओं द्वारा आतंकवादियों को आर्थिक मदद देने के मामले की जांच कर रही हैं । इस मामले में रिमांड पर लिए गए सात अलगाववादी नेताओं की रिमांड का शुक्रवार को आखिरी दिन हैं । एनआईए ने संगठन के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी और उनके परिजनों की करोड़ों की संपत्तियों को चिन्हित किया हैं । संपत्तियों की सूची के आधार पर गिलानी और उनके परिवार की संपत्ति की बाजार कीमत करोड़ों रुपये आंकी जा रही हैं । हिरासत में लिए गए अलगाववादी नेताओं ने दिल्ली से लेकर दुबई तक संपत्ति बनाई हुई हैं । एनआईए इन संपत्तियों को हवाला और बेनामी संपत्ति मामले मे जांच की जा रही हैं । इन संपत्तियों में शैक्षणिक संस्थान, आवासीय इमारते, कश्मीर में खेती की जमीन और दिल्ली स्थित फ्लैट शामिल हैं । ये संपत्तियां कथित तौर पर गिलानी, उनके दो बेटों नसीम और नईम, बेटी अनीशा, फरहत, जमशिदा, चमशिदा के नाम हैं । अनीशा और फरहत गिलानी की दूसरी पत्नी की बेटिया है । संपत्तियों की लिस्ट में सबसे महत्वपूर्ण जम्मू कश्मीर के बारामूला के सोपोर में स्थित यूनिक पब्लिक स्कूल हैं । सात एकड़ जमीन पर फैले इस स्कुल की बाजार कीमत अरबों में आंकी जा रही हैं । एनआईए को जांच में यह भी पता चला हैं कि स्कूल के लिए जमीन २००१ में गिलानी के संगठन तहरीक ए हुर्रियत को दान की गई थी । साल २००६ में ५.३ एकड़ जमीन सीधे गिलानी को और साल २०१७ में १.७ एकड़ गिलानी के बेटे नसीम को स्कूल के प्रिंसिपल जीएम भट्ट द्वारा दी गई । भट्ट स्कूल चलाने वाले मिल्ली ट्रस्ट के आजीवन संरक्षक हैं । एनआईए ने भट्ट से भी पूछताछ की हैं । सवाल यह कि गिलानी के पास इतनी प्रोपर्टी कहां से आई ।
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