शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे भारत के राष्ट्रपति का दायित्व सौंपने के लिए सभी का आभार व्यक्त करता हूं । मैं पूरी विनम्रता२ के साथ इस पद को ग्रहण करता हूं । सेंट्रल होल में आकर पुरानी यादें ताजा हुई । सांसद के तौर पर यहां पर कई मुद्दों पर चर्चा की हैं । मैं मिट्टी के घर में पला बढ़ा हूं । मेरी ये यात्रा काफी लंबी रही हैं । राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि एक दूसरे के विचारों का सम्मान करना सीखा यही लोकतंत्र का खूबसूरती हैं । हर चुनौती के बावजूद देश में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल मंत्र का पालन किया जाता हैं । उन्होंने कहा कि मैं राजेन्द्र प्रसाद, डो कलाम , प्रणब मुखर्जी जैसी विभूतियों के पथ पर चलने जा रहा हूं। संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबा साहेब आंबेड़कर साहेब ने हम सभी में संविधान और लोकतंत्र के मूल्यों को सींचा हैं । राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ साथ वैयक्तिक समानता पर भी उन्होंने बल दिया । हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करना है जो आर्थिक विकास के साथ समानता के मूल्यों को आगे बढ़ाए । विविधता ही हमें अद्वितीय बनाती हैं । कोविंद ने कहा कि भाषा जीवनशैली, धर्म सब में अलग हैं तो भी हम एक हैं यही हमारी ताकत हैं । हम सब अलग हैं मगर फिर भी एक हैं और एकजुट रहेंगे । डिजिटल राष्ट्र हमें प्रगति की ऊचाईयों पर पहुंचने में मदद करेगा । सरकार विकास करने में सहायक की भूमिका निभाती हैं । भारत की विविधता, समावेशी स्वभाव पर, अपने कर्तव्यों के निर्वहन पर हमे गर्व हैं । देश का हर नागरिक राष्ट्रनिर्माता हैं ।
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